राज्यों का अधिकार छीना नहीं जा सकता: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने इंडस्ट्रियल अल्कोहल पर पलटा 34 साल पुराना आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार, 23 अक्तूबर को सात जजों की बेंच के उस आदेश को पलट दिया, जिसमें केंद्र सरकार को औद्योगिक शराब के नियमन के लिए अधिकार दिए गए थे। कोर्ट ने कहा कि औद्योगिक शराब के उत्पादन, निर्माण और आपूर्ति पर नियामक शक्ति राज्यों के पास है। औद्योगिक शराब मानव उपभोग के लिए नहीं है।

विस्तार

शराब पर कानून बनाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार, 23 अक्टूबर को सुनवाई हुई। मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने औद्योगिक शराब पर केंद्र सरकार के अधिकार को खत्म कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि औद्योगिक शराब पर कानून बनाने का अधिकार राज्य के पास है। केंद्र सरकार के पास शराब के उत्पादन पर कानून बनाने का अधिकार नहीं है।

इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस डी. वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली नौ जजों की पीठ में चीफ जस्टिस के अलावा जस्टिस जे.बी. पारदीवाला, जस्टिस मनोज मिश्रा, जस्टिस उज्जल भुइयां, जस्टिस अभय एस. ओका, जस्टिस बी.वी. नागरत्ना, जस्टिस ऋषिकेश रॉय, जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा, जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह शामिल रहे। पीठ में सिर्फ जस्टिस बी.वी. नागरत्ना ने बहुमत के फैसले से असहमति जताई।

34 साल पुराना फैसला पलटा गया

सुनवाई के बाद फैसला सुनाते हुए सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि औद्योगिक अल्कोहल पर कानून बनाने के राज्य के अधिकार को छीना नहीं जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्यों को औद्योगिक एल्कोहल के उत्पादन और सप्लाई को लेकर भी नियम बनाने का अधिकार है।

बहुमत के फैसले में कहा गया कि सूची II (राज्य सूची) की प्रविष्टि 8 के अंतर्गत मादक शराब का अर्थ मादक पेय की संकीर्ण परिभाषा से परे है। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि प्रविष्टि 8 सूची II – में मादक पदार्थ शराब के औद्योगिक और उत्पाद दोनों शामिल हैं। बहुमत के फैसले में कहा गया, ‘शराब के मादक द्रव्यों पर कानून बनाने के लिए राज्य की शक्ति को नहीं छीना जा सकता है।’

सीजेआई ने यह भी स्पष्ट किया कि औद्योगिक शराब को ‘नशीली शराब’ शब्द के तहत विनियमित किया जा सकता है। फैसले ने सिंथेटिक्स एंड केमिकल्स लिमिटेड बनाम उत्तर प्रदेश राज्य में 1990 के फैसले को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि ‘नशीली शराब’ केवल पीने योग्य शराब को संदर्भित करता है और इसलिए, राज्य औद्योगिक शराब पर कर नहीं लगा सकते हैं।

GST आने के बाद सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे याचिकाकर्ता

वहीं, जस्टिस बीवी नागरत्ना ने इस निर्णय पर असहमति जताते हुए कहा कि औद्योगिक शराब को नियंत्रित करने का विधायी अधिकार केवल केंद्र के पास होगा। इस मामले में याचिकाकर्ताओं ने कहा कि जीएसटी लागू होने के बाद इंडस्ट्रियल अल्कोहल पर टैक्स लगाने का अधिकार बहुत अहम हो गया है।

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