पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) से खुशखबरी सामने आ गई। पूर्वी लद्दाख सेक्टर में डेमचोक और देपसांग से भारत और चीन के सैनिकों की वापसी शुरू हो गई है। कुछ ही दिन पहले दोनों देशों के बीच बड़ा समझौता हुआ था। अब इस बीच डेमचौक में बडा डेवलेपमेंट हुआ है दोनों तरफ से अब तक पांच पाच टेंट हटा लिए गए है।
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4 दिन पहले हुए नए पेट्रोलिंग समझौते के बाद भारत और चीन की सेनाएं पूर्वी लद्दाख सीमा से पीछे हटना शुरू हो गई हैं। LAC पर स्थित देपसांग और डेमचोक से चीनी सेना ने अपने अस्थाई तंबू हटा लिए हैं। इंडियन आर्मी ने भी इसका पॉजिटिव रिस्पांस देते हुए LAC पर डिसइंगेजमेंट की प्रक्रिया में शामिल होते हुए महत्वपूर्ण कदम उठाया है। भारतीय सेना ने भी अस्थाई टेंट हटाना शुरू कर दिया है। बता दें कि कजान में हुए BRICS सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात हुई थी।
देपसांग और डेमचोक में पेट्रोलिंग को लेकर समझौता
पूर्वी लद्दाख में LAC पर पिछले चार साल से चले आ रहे विवाद का समाधान आखिरकार निकल ही आया। भारत और चीन के बीच कई दौर की बातचीत के बाद दोनों देश ने इस क्षेत्र में साल 2020 वाली स्थिति बहाल करने पर सहमति जताई थी। अब उसी समझौते को अमल में लाया जा रहा है।
देपसांग और डेमचोक में डिसइंगेजमेंट की प्रक्रिया शुरू कर दी गई। इसके तहत सबसे पहले अस्थाई टेंट को हटाया गया है। दो साल पहले भारत और चीन की सेना 4 विभिन्न लोकेशन से पीछे हटे थे और बफर जोन बनाया था।
सूत्रों के मुताबिक, लोकल कमांडर मौजूदा डिसइंगेजमेंट की मॉनिटरिंग कर रहे हैं। सीनियर लेवल पर इसके लिए व्यापक नियम और शर्तें तय की गई हैं। गुरुवार, 24 अक्तूबर को चीनी सेना ने क्षेत्र में अपने वाहनों की संख्या भी कम कर दी, और भारतीय सेना ने भी कुछ सैनिकों को वापस बुला लिया।
रिपोर्ट्स के अनुसार, सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया पूरी होने के बाद, अगले 4-5 दिनों के भीतर देपसांग और डेमचोक में सैनिकों की गश्त फिर से शुरू होने की उम्मीद है। समझौते के तहत अब चीन के सैनिक देपसांग में स्थित बॉटलनेक इलाके में भारतीय सैनिकों को नहीं रोक सकेंगे। यह 18 किलोमीटर का इलाका है, जिस पर भारत का दावा है।
ब्रिक्स सम्मेलन से पहले हुआ था समझौते का एलान
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी के रूस में ब्रिक्स सम्मेलन में हिस्सा लेने और वहां चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से द्विपक्षीय मुलाकात से पहले भारत और चीन के बीच एलएसी पर पेट्रोलिंग को लेकर समझौता हुआ था। इस समझौते के तहत दोनों सेनाएं साल 2020 से पहले की स्थिति में लौटेंगी। चीन ने भी इस समझौते की पुष्टि की, बीजिंग ने कहा कि ‘प्रासंगिक मामलों’ का समाधान हो गया है और वह समझौते के प्रस्तावों को लागू करने के लिए नई दिल्ली के साथ मिलकर काम करेगा।
चीन और भारत के बीच समझौते में क्या हुआ
21 अक्टूबर 2024 को दोनों देशों के बीच हुए समझौते के तहत पूर्वी लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर अप्रैल 2020 की स्थिति बहाल करने के लिए चीन और भारत राजी हुए हैं। यानी अब चीन की आर्मी उन इलाकों से हटेगी, जहां उसने अतिक्रमण किया था।
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विक्रम मिस्री ने बताया था कि भारत-चीन के सीमावर्ती इलाकों में पेट्रोलिंग के साथ 2020 के बाद उठे मुद्दों को सुलझाने के लिए प्रस्ताव तैयार हुआ है। इस पर दोनों देश कदम उठाएंगे।
अप्रैल 2020 में एक सैन्य अभ्यास के बाद चीनी सेना ने पूर्वी लद्दाख में कम से कम 6 इलाकों में अतिक्रमण किया था, लेकिन दो साल बाद चीन की पीएलए 4 स्थानों से पीछे हट गई थी। दौलत बेग ओल्डी और डेमचोक के फ्रिक्शन पॉइंट्स पर गश्त को लेकर सहमति नहीं बनी थी और भारतीय सेना को कई इलाकों में रोका जा रहा था।
सेनाओं के बीच रुकेगी झड़प
डेमचोक और देपसांग में गश्त और पशु चराने की व्यवस्था मई 2020 से पहले की तरह फिर से शुरू होंगी। समझौते के तहत गलवान घाटी, पैंगोंग त्सो के उत्तरी और दक्षिणी तट, गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र जैसे टकराव के बिंदुओं पर पूर्व के समझौतों के तहत ही व्यवस्था रहेगी।
भारतीय विदेश मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि समझौते के बाद एलएसी पर दोनों देशों के सेनाओं के बीच की झड़प रुक सकेगी। उल्लेखनीय है कि साल 2020 में गलवान में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी, जिसमें भारतीय सेना के कर्नल रैंक के एक अधिकारी समेत 20 भारतीय जवान बलिदान हुए थे।