उत्तराखंड में शिक्षा विभाग प्रयोगों की खान रही है। इन प्रयोगों के बीच विद्यालय के शिक्षक और विद्यार्थी किस कदर पिस रहे हैं, इससे न ही शिक्षा विभाग को कोई मतलब रहा है और न ही राज्य सरकार और उनके मंत्रियों को ही कोई मतलब रहा है।
राज्य बनने के बाद उत्तराखंड को मिले शिक्षा मंत्री अपना काम बनाने से अधिक कुछ नहीं सोच पाए। अपना काम बनाने की प्रवृत्ति में अपने आदमियों को शिक्षा विभाग में घुसाने से लेकर भ्रष्टाचार का चरम सुख भोगने तक की व्यवस्था शामिल रही है।
पढ़ाने के अतिरिक्त कई-कई अन्य कार्यों के बोझ तले दबे शिक्षकों की मजाल नहीं है कि वे अपनी सरकार और विभाग के समक्ष चूं भी कर सकें। बीते दिनों गोपेश्वर से सुर्खियों में आया मामला शिक्षकों की फजीहत और परेशानी को बयां करने के लिए काफी है।
बीते वर्ष में अटल उत्कृष्ट विद्यालयों को अंग्रेजी माध्यम में किए जाने और फिर एक साथ सभी विद्यालयों का परीक्षाफल खराब होने की स्थिति में ठीकरा शिक्षकों के सिर फोड़ने का मामला भी आया। अपनी प्रयोगशाला में शिक्षा विभाग को पुनः इन विद्यालयों को हिन्दी मीडियम करने निर्णय लेकर प्रयोग वापस करना पड़ा।
त्रिस्तरीय पंचायती चुनाव छह माह देरी से हो रहे हैं। उस पर दो बार पंचायत चुनावों से जुड़े विषयों पर असंतुष्ट उच्च न्यायालय की शरण ले चुके हैं। पहली बार उच्च न्यायालय ने तीन दिनों तक चुनाव की प्रक्रिया को रोका, लेकिन फिर स्थागनादेश वापस ले लिया।
अब एक बार फिर दो-दो स्थानों पर मतदाताओं तथा प्रत्याशियों का मतदाता सूची में नाम होने का मसला उच्च न्यायालय तक पहुंचा, जिस पर उच्च न्यायालय ने राज्य निर्वाचन आयोग को स्पष्ट आदेश दिया है कि दो स्थानों पर मतदाता सूची में नाम होने पर प्रत्याशियों के नामांकन रद्द किए जाएं।
इन्हीं चुनावों में कई अतिथि शिक्षकों की भी चुनाव ड्यूटी लगाई गई है। इन अतिथि शिक्षकों को चतुर्थ श्रेणी कर्मियों का कार्य सौंपा गया है। उत्तराखंड में प्रशिक्षित बेरोजगारों के साथ इस राज्य की सरकारों ने जो किया है, वह अक्षम्य अपराध से कम नहीं। युवा बेरोजगारों का मानसिक और आर्थिक शोषण आए दिन की बात हो गई है।
बेरोजगार संगठन इन युवाओं को शायद ही कभी इस हताशा से बाहर निकाल पाए, क्योंकि बेरोजगार स्वयं अपने अधिकारों के लिए दो टूक बात करने को तैयार नहीं हैं।
युवा बेरोजगारों का इस तरह चुपचाप मानसिक और आर्थिक शोषण सह जाना आने वाली पीढ़ी के लिए नासूर बन जाएगा।

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