राज्य में समान नागरिक संहिता लागू करने की दिशा में शुक्रवार, 18 अक्तूबर को नियमावली का प्रारूप कमेटी ने सीएम धामी को सौंपा। सरकार प्रारूप का अध्ययन करने के बाद इसे अंतिम रूप देगी। समिति के अध्यक्ष व पूर्व मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह ने बताया कि समिति के पास प्रकाशित प्रारूप आ चुका है। नियमावली के प्रविधानों के अनुसार मोबाइल एप भी तैयार किया गया है।
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दो साल और पांच माह के इंतजार के बाद अब प्रदेश में समान नागरिक संहिता लागू करने की राह प्रशस्त हो गई है। समान नागरिक संहिता की नियमावली तैयार करने वाली समिति शुक्रवार को इसका प्रारूप मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को सौंपा।
सरकार प्रारूप का अध्ययन करने के बाद इसे अंतिम रूप देने के लिए कैबिनेट में प्रस्तुत करेगी। कैबिनेट से पारित होने के पश्चात नियमावली अस्तित्व में आ जाएगी। मुख्यमंत्री धामी कह चुके हैं कि राज्य स्थापना दिवस तक समान नागरिक संहिता को राज्य में लागू कर दिया जाएगा।
वेबसाइट और मोबाइल एप लगभग बनकर तैयार
प्रस्तावित नियमावली में विवाह का पंजीकरण, लिव इन की सूचना और वसीयत आदि की जानकारी समान नागरिक संहिता की वेबसाइट और मोबाइल एप के माध्यम से भी दर्ज किया जाना प्रस्तावित है।
वेबसाइट और मोबाइल एप लगभग बनकर तैयार हो चुके हैं। इन्हें प्रस्तावित नियमावली के अनुसार बनाया गया है। सरकार यदि नियमावली में कोई बदलाव करती है तो फिर इसमें भी बदलाव करने होंगे
समिति ने इसी सात अक्टूबर को प्रारूप को अंतिम रूप देते हुए इसे प्रकाशन को भेजा था। अब यह प्रारूप बनकर आ चुका है। समिति के अध्यक्ष व पूर्व मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह ने बताया कि समिति के पास प्रकाशित प्रारूप आ चुका है। इसे शुक्रवार को सरकार को सौंप दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि कोशिश की गई है कि नियमावली आम नागरिक के लिए सुलभ व सरल हो।
राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2022 में उत्तराखण्ड समान नागरिक संहिता का ड्राफ्ट तैयार करने हेतु विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया।
राज्य स्थापना दिवस पर यूसीसी लागू करने की तैयारी
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हाल ही में घोषणा की थी कि सरकार 09 नवंबर को उत्तराखंड स्थापना दिवस पर यूसीसी लागू करना चाहती है। ऐसे में अब समीति के फाइनल नियमावली का ड्राफ्ट साैंपने के बाद पूरी उम्मीद जताई जा रही है कि यूसीसी उत्तराखंड में 09 नवंबर को लागू हो जाएगा।
UCC की शुरूआत
- 12 फरवरी 2022 को सीएम धामी ने यूसीसी की घोषणा की।
- मई 2022 में सुप्रीम कोर्ट की सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में UCC कमिटी गठित।
- 02 फरवरी 2024 को विशेषज्ञ समिति ने ड्राफ्ट रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपी।
- 06 फरवरी को विधानसभा में यूसीसी विधेयक पेश।
- विशेषज्ञ समिति द्वारा तैयार किये गये ड्राफ्ट को 7 फरवरी, 2024 को राज्य विधान सभा में पारित किया गया।
- उत्तराखण्ड समान नागरिक संहिता विधेयक-2024 पर महामहिम राष्ट्रपति की सहमति उपरान्त 12 मार्च, 2024 को अधिनियम पारित हुआ।
- उत्तराखण्ड समान नागरिक संहिता विधेयक 2024 के नियमावली एवं क्रियान्वयन बनाये जाने की आवश्यकता के दृष्टिगत सेवानिवृत्त आईएएस शत्रुघ्न सिंह की अध्यक्षता में समिति गठित की गई है।
- नियमावली एवं क्रियान्वयन समिति द्वारा नियमावली हिन्दी एवं अग्रेंजी दोनों संस्करणों में 18 अक्टूबर, 2024 को राज्य सरकार को हस्तगत की जा रही है। इस नियमावली में मुख्य रूप से चार भाग है। जिसमें विवाह एवं विवाह-विच्छेद, लिव-इन-रिलेशनशिप, जन्म एवं मृत्य पंजीकरण तथा उत्तराधिकार सम्बन्धी नियमों के पंजीकरण सम्बन्धी प्रक्रियाएं उल्लिखित है।
- जन सामान्य की सुलभता के दृष्टिगत इस हेतु एक पोर्टल तथा Mobile App भी तैयार किया गया है, जिससे कि पंजीकरण, अपील आदि की समस्त सुविधाएं जन सामान्य को ऑनलाईन माध्यम से सुलभ हो सके।
यूसीसी लागू होने पर होंगे बदलाव
- 26 मार्च 2010 के बाद से हर दंपती के लिए तलाक व शादी का पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा।
- ग्राम पंचायत, नगर पंचायत, नगर पालिका, नगर निगम, महानगर पालिका स्तर पर पंजीकरण की सुविधा।
- पंजीकरण न कराने पर अधिकतम 25,000 रुपये का जुर्माना।
- पंजीकरण नहीं कराने वाले सरकारी सुविधाओं के लाभ से भी वंचित रहेंगे।
- सभी धर्म-समुदायों में विवाह, तलाक, गुजारा भत्ता और विरासत के लिए एक ही कानून।
- विवाह के लिए लड़के की न्यूनतम आयु 21 और लड़की की 18 वर्ष होगी।
- लिव इन में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति के लिए वेब पोर्टल पर पंजीकरण अनिवार्य होगा।
- लिव इन में पैदा होने वाले बच्चों को जायज संतान माना जाएगा।
- लिव इन में रहने वालों के लिए संबंध विच्छेद का भी पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा।
- एक पति और पत्नी के जीवित होने पर दूसरा विवाह करना पूरी तरह से प्रतिबंधित होगा।
- अनिवार्य पंजीकरण न कराने पर छह माह के कारावास या 25 हजार जुर्माना या दोनों का प्रावधान होंगे।
- तलाक या घरेलू झगड़े के समय पांच वर्ष तक के बच्चे की कस्टडी उसकी माता के पास रहेगी।
- बेटा और बेटी को संपत्ति में बराबर अधिकार होंगे।
- सरगोसी, गोद लिए या ART से जन्मे बच्चे जैविक संतान होंगे।
- महिलाएं भी पुरुषों के समान कारणों और अधिकारों को तलाक का आधार बना सकती हैं।
- महिला का दोबारा विवाह करने की किसी भी तरह की शर्तों पर रोक होगी।
- कोई बिना सहमति के धर्म परिवर्तन करता है तो दूसरे व्यक्ति को उस व्यक्ति से तलाक लेने व गुजारा भत्ता लेने का अधिकार होगा।
- नाजायज बच्चों को भी उस दंपती की संतान माना जाएगा।
- किसी महिला के गर्भ में पल रहे बच्चे के संपत्ति में अधिकार संरक्षित रहेंगे।
- कोई व्यक्ति किसी भी व्यक्ति को वसीयत से अपनी संपत्ति दे सकता है।