वर्ष 2025-26 के लिए केन्द्र से जारी बजट को उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के केन्द्रीय अध्यक्ष पी.सी. तिवाड़ी ने उत्तराखण्ड के लिए निराशाजनक बताया है।
उन्होंने कहा कि, यह बजट आर्थिक विवशताओं और राजनीतिक मजबूरियों का परिणाम अधिक प्रतीत होता है, न कि जनहित को प्राथमिकता देने वाला कोई दूरदर्शी निर्णय।
मध्यवर्ग को राहत नहीं, मजबूरी में कर छूट
पूरे वर्ष भर आयकर और वित्त मंत्रालय को लेकर सोशल मीडिया पर बने मीम्स और मध्यवर्ग की तीखी आलोचनाओं के बाद सरकार ने अंततः प्रत्यक्ष कर में छूट देने का ऐलान किया है। लेकिन अर्थशास्त्रियों का स्पष्ट मत है कि यह कदम किसी सहानुभूति से नहीं, बल्कि सरकार की आर्थिक मजबूरी के कारण उठाया गया है।
पिछले तिमाही के जीडीपी आंकड़े दिखाते हैं कि उपभोक्ता खर्च में लगातार गिरावट आ रही थी और महंगाई चरम पर थी, जिससे देश एक गंभीर आर्थिक संकट की ओर बढ़ रहा था।
कर छूट में भेदभावपूर्ण नीति
इस बजट में कर छूट के नाम पर सरकार का दोहरा चेहरा उजागर हुआ है। 12 लाख रुपये तक की आय वालों को कर छूट प्रदान की गई, लेकिन 12 लाख से अधिक आय वालों को केवल 4 लाख रुपये तक ही छूट दी गई।
यह सरकार की असमान नीतियों को दिखाता है, जो एक ओर बड़े उद्योगपतियों को टैक्स में राहत देती है, लेकिन दूसरी ओर मध्यम और उच्च मध्यम वर्ग पर बोझ डालती है।
भ्रष्टाचार पर चुप्पी
ऊपर से नीचे तक भ्रष्टाचार में डूबी सरकार ने रियल एस्टेट क्षेत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार को नियंत्रित करने की कोई ठोस रणनीति प्रस्तुत नहीं की। रियल एस्टेट में हो रहे घोटालों से आम आदमी बुरी तरह प्रभावित है, लेकिन सरकार इस पर मौन बनी हुई है।
किसानों को फिर दिखाया सब्ज़बाग़
कृषि क्षेत्र को लेकर भी सरकार ने किसानों को मात्र दिखावटी आश्वासन दिया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने किसानों की प्रमुख मांगों—जैसे न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी और कृषि ऋण माफी—पर कोई स्पष्ट नीति प्रस्तुत नहीं की।
यह बजट एक बार फिर साबित करता है कि यह सरकार सिर्फ पूंजीपतियों के लिए काम कर रही है, किसानों और ग्रामीण भारत की समस्याओं से इसका कोई सरोकार नहीं है।
बेरोजगारी पर सरकार की चुप्पी खतरनाक
सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि, पूरे बजट में सरकार ने बेरोजगारी पर कोई ठोस बात नहीं की। देश में नौकरियों की कमी लगातार बनी हुई है, लेकिन इस मुद्दे को पूरी तरह दरकिनार कर दिया गया।
महत्वपूर्ण सवाल यह है कि अगर हमारे पास वेतन ही नहीं होगा, तो कर छूट का कोई मतलब ही क्या रह जाता है? यह सरकार जनता को राहत देने के बजाय उन्हें महंगाई और बेरोजगारी के दलदल में धकेल रही है।
उत्तराखंड की उपेक्षा, बिहार को प्राथमिकता
हम इस बजट की कड़ी आलोचना करते हैं क्योंकि मोदी सरकार ने अपने प्रमुख गठबंधन सहयोगी बिहार को कई वित्तीय लाभ देकर प्राथमिकता दी, जबकि उत्तराखंड जैसे पर्यावरणीय संकट से जूझ रहे पर्वतीय राज्यों की पूरी तरह उपेक्षा की।
उत्तराखंड को जलवायु परिवर्तन, पलायन, आपदाओं और ढांचागत समस्याओं से निपटने के लिए विशेष आर्थिक सहायता की जरूरत थी, लेकिन केंद्र सरकार ने हमारी मांगों को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया।
उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी इस बजट को पूरी तरह जनविरोधी मानती है और केंद्र सरकार से मांग करती है कि वह अपने आर्थिक फैसलों पर पुनर्विचार करे और उत्तराखंड जैसे पर्वतीय राज्यों के लिए विशेष राहत पैकेज की घोषणा करे।
यदि सरकार अपने फैसलों पर पुनर्विचार नहीं करती, तो उत्तराखंड के लोग सड़कों पर उतरकर लोकतांत्रिक तरीके से अपनी आवाज उठाएंगे।