फूलों की घाटी (Valley of Flowers) देखनी है तो तैयार रहिए 1 जून से

घास के मैदानों, रंग बिरंगे फूलों से सुसज्जित
रीजनल रिपोर्टर ब्यूरो

फूलों की घाटी या “वैली ऑफ फ्लावर्स” भारत के उत्तराखंड राज्य में चमोली जिले में स्थित हैं। पश्चिमी हिमालय में स्थित फूलों की घाटी एक प्राकृतिक और सुंदर राष्ट्रीय उद्यान के रूप में जाना जाता है। अल्पाइन फूलों और घास के मैदानों से सुसज्जित यह प्राकृतिक स्थान प्रकृति प्रेमियों और फोटोग्राफी के शौकीन व्यक्तियों के लिए किसी स्वर्ग से कम नही हैं।

फूलों की घाटी का प्रसिद्ध दर्शनीय स्थल घांघरिया

विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी ट्रैक 01 जून, 2024 से पर्यटकों के लिए खोल दी जाएगी। वैली ऑफ फ्लावर्स ट्रैक अपने फूलों के लिए दुनिया भर में मशहूर है। वैली ऑफ फ्लावर्स दुर्लभ हिमालयी वनस्पतियों से समृद्ध है और जैव विविधता का अनुपम खजाना है। यहां 500 से अधिक प्रजाति के रंग-बिरंगे फूल खिलते है जोकि पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता हैं।

फूलों की घाटी 

प्रकृति प्रेमियों के लिए फूलों की घाटी से टिपरा ग्लेशियर, रताबन चोटी, गौरी और नीलगिरी पर्वत के विहंगम नजारे भी देखने को मिलते है। वैली ऑफ फ्लावर्स 30 अक्टूबर तक पर्यटकों के लिए खुली रहेगी।

https://youtu.be/0ab7E1Heh_s?si=tXnhcNqsua4-qa__

उप वन संरक्षक बीबी मर्तोलिया ने बताया कि वैली ऑफ फ्लावर्स के लिए पर्यटकों का पहला दल 01 जून को घांघरिया बेस कैंप से रवाना किया जाएगा। पर्यटकों को वैली ऑफ फ्लावर्स का ट्रैक करने के बाद उसी दिन बेस कैंप घांघरिया वापस आना होगा। बेस कैंप घांघरिया में पर्यटकों के ठहरने की समुचित व्यवस्था है।

फूलों की घाटी के पास मशहूर धार्मिक स्थल गौरीकुंड

उन्होंने बताया कि वैली ऑफ फ्लावर ट्रैकिंग के लिए देशी नागरिकों को 200 रुपये तथा विदेशी नागरिकों के लिए 800 रुपये ईको ट्रेक शुल्क निर्धारित किया गया है। ट्रैक को सुगम और सुविधाजनक बनाया गया है।


  • यह घाटी लगभग 87.50 वर्ग कि.मी. के क्षेत्रफल में फैली हुई है, जो लगभग 2 कि.मी. चैड़ी और लगभग 8 कि.मी. लंबी है।
  • यह घाटी समुद्रतल से लगभग 3352 से 3658 मीटर की ऊंचाई पर स्थित नन्दा देवी राष्ट्रीय उद्यान का ही एक हिस्सा है।
  • वर्ष 1862 ई.पुष्पावती घाटी को कर्नल एडमंड स्माइथ ने खोजा था।
  • वर्ष 1931 में फ्रैंक एस. स्माइथ, एरिक शिपटन और आर. एल. होल्ड्सवर्थ नाम कुछ ब्रिटिश पर्वतारोहियों ने माउंट कामेट के सफल अभियान से लौटने के दौरान अपना रास्ता खो दिया था और वे ऐसी घाटी में पंहुचे जो फूलों से भरी हुई थी।
  • वर्ष 1931 में इस घाटी में खो गये पर्वतारोही फ्रैंक एस. स्माइथ ने बाद में इस घाटी के ऊपर एक ष्वैली ऑफ फ्लावरष् नामक प्रचलित पुस्तक लिखी थी।
  • भारत सरकार द्वारा वर्ष 1982 में इस घाटी को भारतीय राष्ट्रीय उद्यान के रूप में मान्यता प्रदान की गई थी।
  • वैली ऑफ फ्लावर्स को वर्ष 2005 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल किया गया।
https://regionalreporter.in/madmaheshwars-movable-idol-festival-doli-kailash/

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