वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 मंगलवार से प्रभावी, सरकार ने जारी किया नोटिफिकेशन

केंद्र सरकार ने सोमवार को एक आधिकारिक अधिसूचना (नोटिफिकेशन) जारी करते हुए घोषणा की कि वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को 9 अप्रैल, मंगलवार से पूरे देश में लागू किया जा रहा है।

यह अधिनियम पिछले सप्ताह संसद में पारित हुआ था और राष्ट्रपति की स्वीकृति मिलने के बाद इसे प्रभावी तिथि के साथ अधिसूचित कर दिया गया।

नोटिफिकेशन हुआ जारी

अधिसूचना में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि: “भारत के राजपत्र में प्रकाशित अधिसूचना के अनुसार, वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 दिनांक 9 अप्रैल 2025 से प्रभाव में आएगा।”

यानी, सरकार ने सोमवार को यह जानकारी दी कि कानून मंगलवार से लागू होगा। यह सरकारी प्रक्रिया के अनुसार सामान्य बात है, जहां अधिनियम की घोषणा एक दिन पहले की जाती है, और लागू करने की तारीख अगले दिन तय की जाती है।

क्या है वक्फ अधिनियम और इसका संशोधन

भारत में वक्फ अधिनियम, 1995 धार्मिक एवं चैरिटेबल उद्देश्यों के लिए वक्फ संपत्तियों के संरक्षण और प्रबंधन से जुड़ा कानून है। देश में लगभग 8 लाख वक्फ संपत्तियाँ दर्ज हैं, जिनका अनुमानित मूल्य 6 लाख करोड़ रुपये से अधिक है।

संशोधन 2025 के प्रमुख बिंदु:

  • संपत्तियों का डिजिटलीकरण अनिवार्य किया गया है।
  • अतिक्रमण पर सख्त प्रावधान, राज्य सरकारों को कार्रवाई करनी होगी।
  • वक्फ बोर्डों की जवाबदेही बढ़ेगी; अब केंद्र और राज्य को नियमित रिपोर्ट देनी होगी।
  • विवादों के निपटारे के लिए विशेष वक्फ ट्राइब्यूनल्स को अधिक अधिकार मिलेंगे।

वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 पर सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर

वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली कई याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई हैं। शीर्ष अदालत इन याचिकाओं पर 15 अप्रैल 2025 को सुनवाई करने वाली है।

याचिकाकर्ताओं में प्रमुख नाम

  • कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद: उन्होंने अधिनियम को मुस्लिम समुदाय की धार्मिक स्वायत्तता के खिलाफ बताते हुए इसे चुनौती दी है।
  • एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी: उन्होंने अधिनियम को संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 का उल्लंघन बताते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।
  • आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और जमीयत उलेमा-ए-हिंद: इन संगठनों ने भी अधिनियम की वैधता पर सवाल उठाते हुए याचिकाएं दायर की हैं।
  • आज़ाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर आज़ाद: उन्होंने अधिनियम को मौलिक अधिकारों का उल्लंघन बताते हुए इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।

विवाद का मुख्य कारण अधिनियम के कुछ प्रावधान

  • वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति: आलोचकों का मानना है कि यह मुस्लिम समुदाय की धार्मिक स्वायत्तता का उल्लंघन है।
  • विवादित वक्फ संपत्तियों के स्वामित्व का निर्धारण सरकार द्वारा करना: इससे वक्फ संपत्तियों पर सरकारी नियंत्रण बढ़ने की आशंका है।
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