धरती — वह अनमोल ग्रह जहाँ जीवन है। पेड़-पौधे, जानवर, इंसान, हवा, पानी – ये सभी इसी धरती की देन हैं। लेकिन आधुनिक जीवनशैली, प्रदूषण और प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध दोहन ने इस धरती को खतरे में डाल दिया है।
ऐसे समय में लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करने के लिए हर साल 22 अप्रैल को “विश्व पृथ्वी दिवस” मनाया जाता है।
यह दिन हमें याद दिलाता है कि प्रकृति की रक्षा केवल सरकारों या संगठनों की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि हम सभी की है।
इस साल की अर्थ डे 2025 का थीम है, “हमारी शक्ति, हमारा ग्रह” जो इस बात पर जोर देती है कि जब व्यक्ति, समुदाय और राष्ट्र एकजुट होते हैं तो वे मिलकर एक अधिक स्वस्थ और सुंदर भविष्य की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं।
2030 तक तीन गुना अक्षय ऊर्जा लक्ष्य
2025 का अर्थ डे न सिर्फ जागरूकता फैलाने का, बल्कि इस पर अमल करने का साल है। इस साल का लक्ष्य है – 2030 तक वैश्विक स्तर पर अक्षय ऊर्जा के उत्पादन को तीन गुना करना।
इसका अर्थ है कि पारंपरिक जीवाश्म ईंधनों की जगह सौर, पवन, जलविद्युत, ज्वारीय और भूतापीय ऊर्जा जैसे स्वच्छ और स्थायी ऊर्जा स्रोतों को प्राथमिकता दी जाएगी। यह लक्ष्य केवल पर्यावरण के लिए नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी एक सुरक्षित भविष्य की नींव रखने जैसा है।
विश्व पृथ्वी दिवस का इतिहास
1970 में अमेरिका के एक पर्यावरण प्रेमी सीनेटर गेलॉर्ड नेल्सन (Gaylord Nelson) ने पहली बार पृथ्वी दिवस मनाने की पहल की। उस समय अमेरिका में प्रदूषण, जंगलों की कटाई और औद्योगिक कचरे की समस्या बढ़ती जा रही थी, लेकिन आम लोग इस पर ध्यान नहीं दे रहे थे।
उन्होंने छात्रों, शिक्षकों और आम नागरिकों को जागरूक करने के लिए 22 अप्रैल 1970 को एक विशेष दिन के रूप में चुना।
इस दिन करीब 2 करोड़ अमेरिकियों ने सड़कों पर आकर रैलियों, भाषणों और जागरूकता अभियानों में हिस्सा लिया।
आज, यह दिन दुनिया भर में 192 से अधिक देशों में मनाया जाता है, जिसमें 1 बिलियन से अधिक लोग हिस्सा लेते हैं। यह संख्या अपने आप में इस बात की गवाही है कि धरती की रक्षा का संकल्प अब सिर्फ कुछ पर्यावरण प्रेमियों का एजेंडा नहीं रहा, बल्कि यह एक वैश्विक जिम्मेदारी बन चुका है।
इस ऐतिहासिक दिन के बाद अमेरिका में कई महत्वपूर्ण पर्यावरण कानून बने:
- Clean Air Act (स्वच्छ वायु कानून)
- Clean Water Act (स्वच्छ जल कानून)
- Environmental Protection Agency (EPA) की स्थापना
- 1990 में वैश्विक रूप
- 1990 में पृथ्वी दिवस को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाया जाने लगा।
- इस साल 141 देशों के लगभग 20 करोड़ लोग इस आंदोलन का हिस्सा बने।
- अब यह एक वैश्विक पर्व बन चुका था – हर जाति, धर्म, देश और भाषा से ऊपर।
मानव गतिविधियों से हो रहा नुकसान
मनुष्य ने अपने स्वार्थ के लिए न केवल प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक उपयोग किया, बल्कि उन्हें बर्बाद भी किया है। नीचे कुछ मुख्य गतिविधियाँ दी गई हैं जो पृथ्वी के लिए घातक बन चुकी हैं:
- वनों की अंधाधुंध कटाई: जंगल हमारे पारिस्थितिकी तंत्र की रीढ़ हैं। वे न केवल ऑक्सीजन का स्रोत हैं बल्कि हजारों प्रजातियों का घर भी। पेड़ कटने से न केवल जैव विविधता नष्ट हो रही है, बल्कि मिट्टी का कटाव, वर्षा में कमी और ग्लोबल वार्मिंग जैसे प्रभाव भी बढ़ रहे हैं।
- जल, वायु और भूमि प्रदूषण: औद्योगिकीकरण और शहरीकरण के चलते हर दिन लाखों टन कचरा नदियों, समुद्रों और जमीन में डाला जा रहा है। वायु में मिल रहे जहरीले गैसें मानव स्वास्थ्य और जलवायु दोनों के लिए खतरनाक हैं।
- फॉसिल फ्यूल का अत्यधिक उपयोग : कोयला, पेट्रोल और डीजल जैसे ईंधन ऊर्जा के मुख्य स्रोत बन चुके हैं, लेकिन इनके जलने से कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य ग्रीनहाउस गैसें वातावरण में घुलकर धरती के तापमान को बढ़ा रही हैं।
- प्लास्टिक का कहर : प्लास्टिक आज हर घर का हिस्सा है, लेकिन यह नष्ट नहीं होता। यह मिट्टी और जल दोनों को विषैला बनाता है और जलीय जीवन को भारी खतरे में डालता है।
- प्राकृतिक आपदाओं में वृद्धि : मानव की गतिविधियों के कारण ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं, समुद्र का जलस्तर बढ़ रहा है और प्राकृतिक आपदाएं जैसे बाढ़, सूखा, जंगलों की आग, चक्रवात इत्यादि लगातार बढ़ रहे हैं।
हमें क्या नहीं करना चाहिए?
- अनावश्यक उपभोग से बचें – आवश्यकता से अधिक उपभोग संसाधनों पर दबाव डालता है।
- प्लास्टिक का प्रयोग न करें – थर्मोकोल और सिंगल यूज़ प्लास्टिक से दूरी बनाएं।
- प्राकृतिक स्थानों का अतिक्रमण न करें – जंगल, झीलें, पहाड़ इत्यादि को संरक्षित करें।
- कचरा खुले में न फेंकें – इससे प्रदूषण और बिमारियाँ फैलती हैं।
- अंधाधुंध निर्माण कार्य – बगैर पर्यावरणीय संतुलन का ध्यान रखे की जा रही निर्माण गतिविधियाँ नुकसानदेह हैं।
हमें क्या करना चाहिए?
- वृक्षारोपण करें: हर नागरिक का कर्तव्य है कि वह कम से कम एक पेड़ अवश्य लगाए और उसकी देखभाल करे। एक पेड़ हजारों जीवों के लिए जीवनदायिनी होता है।
- रिसायकल, रीयूज़ और रिड्यूस: हम जितना हो सके वस्तुओं को पुनः प्रयोग करें। पुराने कपड़े, प्लास्टिक की बोतलें, कागज़ आदि का रिसायकल करके पर्यावरण पर बोझ कम किया जा सकता है।
- सौर और पवन ऊर्जा को अपनाएं: सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा जैसे नवीनीकरणीय स्रोतों से न केवल प्रदूषण कम होता है बल्कि वे अनंत हैं।
- सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करें: जितना संभव हो, निजी वाहनों के बजाय साइकिल, बस, ट्रेन आदि का उपयोग करें ताकि प्रदूषण कम हो।
- पर्यावरणीय शिक्षा को बढ़ावा दें: बच्चों को शुरू से ही पर्यावरण के महत्व के बारे में जागरूक करना चाहिए। स्कूलों में ‘ग्रीन क्लब’, ‘पर्यावरण दिवस’ जैसे कार्यक्रमों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
Leave a Reply