यूजीसी के नए मसौदा दिशा-निर्देशों के अनुसार, उम्मीदवार अपनी पसंद के विषय में यूजीसी-नेट पास करके उच्च संस्थानों में संकाय पदों के लिए अर्हता प्राप्त कर सकते हैं, भले ही उनकी स्नातक और स्नातकोत्तर डिग्री अलग-अलग विषयों में हों।
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अब विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्तियों में यदि शिक्षक ने अंडरग्रेजुएट, पोस्ट ग्रेजुएट और पीएचडी अलग-अलग विषयों में किए हैं तो वे प्रोफेसर की नियुक्ति के योग्य होंगे।
अभी तक यदि हिन्दी या अंग्रेजी आदि विषयों में शिक्षकों की नियुक्ति होती है तो ऐसे में नियुक्ति में यूजी से पीएचडी तक एक ही विषय को देखा जाता है, लेकिन अब यदि किसी व्यक्ति ने यूजी-पीजी में अलग और पीएचडी अलग विषय में की है तो वे विवि में प्रोफेसर बनने योग्य माने जाएंगे।
यूजीसी के अध्यक्ष एम जगदीश कुमार ने बताया, 23 दिसम्बर 2024 को आयोग की बैठक में यूजीसी ने यूजीसी (विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में शिक्षकों और शैक्षणिक कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए न्यूनतम योग्यता और उच्च शिक्षा में मानकों के रखरखाव के उपाय) विनियम 2025 के मसौदे को मंजूरी दी।
शिक्षामंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने मसौदा दिशा-निर्देश जारी किए। वे अब फीडबैक और सुझावों के लिए यूजीसी की वेबसाइट पर उपलब्ध हैं। कुमार ने कहा, 2025 के यूजीसी विनियमों का उद्देश्य भारतीय उच्च शिक्षा संस्थानों में संकाय सदस्यों की भर्ती और पदोन्नति के तरीके को बदलना है, जो संकाय भर्ती और करियर प्रगति में लचीलापन, समावेशिता और उत्कृष्टता को बढ़ाते हैं।
उदाहरण के लिए व्यक्ति यूजीसी-नेट में अपनी पसंद के विषय में अपने प्रदशर्न के आधार पर संकाय पदों के लिए योग्य हो सकते हैं, भले ही उनकी स्नातक और स्नातकोत्तर डिग्री अलग-अलग विषयों में हों। यूजीसी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मद्देनजर यह बदलाव किया है।
यूजीसी अध्यक्ष ने बताया, पिछले नियमों में उम्मीदवारों को अक्सर संख्यात्मक मानदंडों जैसे कि जर्नल या सम्मेलन प्रकाशन गणनाओं के आधार पर आंका जाता था। ये विनियम बहु-विषयक पृष्ठभूमि से संकाय सदस्यों के चयन की सुविधा भी प्रदान करते हैं। इन विनियमों का प्राथमिक उद्देश्य लचीलेपन को व्यापक बनाना है।