600 रुपये से अधिक प्रति किलोग्राम की दर से कर रहे मछली का विपणन
राज्य के बाहरी बाजारों में भी बढ़ रही ट्राउट मछली की मांग
चमोली जिले में 600 से अधिक काश्तकार मत्स्य पालन के जरिये अपनी आजीविका को मजबूत कर रहे हैं। जिले में काश्तकार ट्राउट के साथ कार्प और पंगास मछली का उत्पादन कर बेहतर आय अर्जित कर रहे हैं। जिससे जनपद के काश्तकारों को घर पर रोजगार मिलने से पलायन पर भी प्रभावी रोक लग रही है।
चमोली जिले में मत्स्य पालन विभाग की ओर से प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना और राज्य सेक्टर से संचालित योजनाओं के माध्यम से काश्तकारों को मत्स्य पालन से जोड़ा जा रहा है। जिसे बेहतर परिणाम सामने आने लगे हैं।
जिले में कुल 8 मत्स्यजीवी सहकारी समितियां और 6 सौ काश्तकार ट्राउट, कार्प और पंगास मछली का उत्पादन कर रहे हैं। जिसे काश्तकार की ओर से 6 से 8 सौ रुपये प्रति किलो की दर से विपणन कर लाखों की आय अर्जित कर रहे हैं।
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‘बेस्ट हिमालयन एंड नॉर्थ ईस्टर्न स्टेट’ में सर्वश्रेष्ठ राज्य चयन
उत्तराखंड में मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए ‘मुख्यमंत्री मत्स्य संपदा योजना’ चलाई जा रही है। जिसके तहत मत्स्य पालकों को सब्सिडी के साथ तमाम सुविधाएं दी जा रही हैं।
जिसके चलते मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए उत्तराखंड को राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड हैदराबाद की ओर से 21 नवंबर को पुरस्कृत किया गया। उत्तराखंड को हिमालयी और उत्तर पूर्व के राज्यों (बेस्ट हिमालयन एंड नॉर्थ ईस्टर्न स्टेट) की श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ राज्य के रूप में चयनित किया गया है।
21 नवंबर को यानी विश्व मत्स्य दिवस के अवसर पर नई दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में उत्तराखंड राज्य को मत्स्य पालन क्षेत्र में किए गए उत्कृष्ट कार्यों के लिए पुरस्कृत किया गया।
दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में केंद्रीय मत्स्य, पशुपालन, डेयरी, पंचायतीराज राज्यमंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ लल्लन सिंह ने उत्तराखण्ड के सचिव पशुपालन, मत्स्य विभाग डॉ. बीवीआरसी पुरूषोत्तम को यह पुरस्कार सौंपा।
क्या कहते हैं काश्तकार
कोरोना के चलते लगे लॉकडाउन में मुझे पंतनगर से जॉब छोड़कर घर लौटना पड़ा। जिसके बार मत्स्य विभाग की ओर प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना की जानकारी दी गई। जिसके बाद विभाग की ओर से मुझे फिश रेस वेज तैयार कर ट्राउट मछली पालन का प्रशिक्षण दिया गया। मेरे द्वारा बीते वर्ष मेरे द्वारा 10 कुंतल मछली का विपणन कर 4 लाख की आय अर्जित की है।– पवन राणा, मत्स्य पालक, बैरागना, दशोली चमोली।
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मत्स्य पालन विभाग की मदद से वर्ष 2023 में मैंने अपने गांव में पंगास मछली का उत्पादन शुरू किया था। बीते वर्ष मैंने 8 कुंतल मछली का विपणन कर 3 लाख की आय अर्जित की है।- हरीश सिंह राणा, पुणकिला, घाट, चमोली।
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चमोली जिले में 8 मत्स्यजीवी सहकारी समितियां और 6 सौ काश्तकार ट्राउट, कार्प और पंगास मछली का उत्पादन कर रहे हैं। जनपद में मत्स्य पालन स्वरोजगार के बेहतर साधन के रूप में विकसित हो रहा है। मत्स्य पालन से जहां काश्तकारों की आय मजबूत हो रही है। वहीं रोजगार के लिए होने वाले पलायन पर भी प्रभावी रोक लग रही है। -जगदम्बा चमोली, जनपद मत्स्य प्रभारी, चमोली।