भगवान भरोसे बैठने वालों को आईना दिखाया पांच श्रमिकों की टोली ने A group of five workers showed a mirror to those who trusted God.

सिल्क्यारा सुरंग से 41 श्रमिक सुरक्षित निकाले गए बाहर

गंगा असनोड़ा थपलियाल
उत्तरकाशी के सिल्कयारा से आ रही खबरों के अनुसार बीते 17 दिनों से सुरंग में फंसे श्रमिकों को बाहर निकालने की क़वायद आखिर 17वें दिन साकार हो ही गया।

बड़े-बड़े उपकरणों और वायदों के फेल होने की पराकाष्ठा और मानव संसाधन की जीत का यह घटना प्रमाण बनी है। पारंपरिक रूप से खुदाई और निर्माण में उपयोग आने वाले छोटे-छोटे हथियार सिल्क्यारा सुरंग में फंसे श्रमिकों की जान बचाने में भगवान से भी आगे साबित हुए। इन श्रमिकों ने उन लोगों को आईना दिखाया है, जो भगवान भरोसे बैठे होते हैं।

पारंपरिक हथियार और मानव संसाधन बने मिशाल

जिस काम को करने में बड़े-बड़े तकनीशियनों के दल और कीमती यंत्र सफल नहीं हो पाए, उस कार्य को पांच सामान्य ग्रामीणों ने कर दिखाया। इन ग्रामीण खनिकों ने घरेलू उपकरणों ;फावड़ा, बेलचा, गैंती, खुर्पी आदिद्ध से इस असंभव कार्य को कर दिखाया है ।
मध्य प्रदेश से आए परंपरागत खनिकों, जिन्हें अंग्रेजी में (रेट माइनर्स) कहते हैं। इस छह सदस्यीय दल ने डेढ़ दिन के अपने अथक प्रयास से श्रमिकों को सुरंग की कैद से बाहर निकालकर सांसत में पड़ी जान वापस लौटाई है।

इस मामले के पल-पल पर नजर रख रहा मीडिया, प्रशासन और शासन (केंद्र सरकार समेत) भी अब चैन की सांस ले पाए हैं। सिल्क्यारा में हुए घटनाक्रम ने लोकतंत्र के चार स्तंभों में से उक्त तीनों की वास्तविक स्थिति को बयां कर दिया है। मुझे याद आ रहा है- वर्ष 2011 में रीजनल रिपोर्टर की ओर से किए गए विशेषांक का शीर्षक- उत्तराखंड में गहरी हैं लोकतंत्र की जड़ें। न सिर्फ उत्तराखंड, बल्कि उत्तराखंड जैसे ही पिछड़े समझे जाने वाले भारत के कई अन्य हिस्सों में लोकतंत्र की जड़ें बेहद गहरी हैं, जहां पारंपरिक रूप से अपनाई जाने वाली व्यवस्थाएं भले ही श्रमसाध्य हों, लेकिन बेहद महत्त्वपूर्ण हैं।मानव संसाधन को दरकिनार कर देने वाली वर्तमान सरकारों को सिल्क्यारा की टनल ने एक बार फिर मुंह की खाने के लिए मजबूर किया है। बड़ी-बड़ी उड़ाने वाले और सिल्क्यारा जैसी आपदा में भी रेड कार्पेट चाहने वाले क्या समझ पाएंगे 17 दिनों तक एक सुरंग में कैद 41 जिंदगियों तथा उनसे जुड़ी जिंदगियों की पीड़ा!


अपनी जान की परवाह किए बिना सिल्क्यारा सुरंग फंसे श्रमिकों को सकुशल बाहर निकालने में सफल हुए सबसे बड़े मददगार रेट खनिकों को रीजनल रिपोर्टर परिवार सलाम करता है।

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