पीएम की रैली से पहले, हुई गिरफ्तारी 

पीएम की रैली से पहले, हुई गिरफ्तारी 

पीएम नरेंद्र मोदी की उत्तराखण्ड चुनावी रैली में सुरक्षा के मद्देनजर भू कानून समन्वय संघर्ष समिति के संयोजक मोहित डिमरी व अन्य दो सदस्यों को देहरादून से गिरफ्तार कर लिया गया है। ऋषिकेश में आयोजित रैली में भूकानून और मूल निवास को लेकर पीएम से मिलने वाली वीडियो जारी की थी ।

क्यों हुई गिरफ्तारी 

उत्तराखण्ड में लगातार कुछ समय से भू कानून समन्वय संघर्ष समिति द्वारा मूलनिवास और भूकनून को लेकर आंदोलन किया जा रहा है, जिस कारण 11 अप्रैल को ऋषिकेश में आयोजित पीएम नरेंद्र मोदी के चुनावी रैली से ठीक पहले यह देखते हुए की भू कानून समन्वय संघर्ष समिति के पदाधिकारी पीएम से न मिल सकें इसके लिए मोहित डिमरी, प्रांजल नौडियाल, शिवानंद लखेरा को देहरादून से ही गिरफ्तार कर लिया गया है। मोहित डिमरी ने एक वीडियो संदेश के ज़रिए पीएम मोदी से मिलने की बात कही थी।

मूलनिवास पर क्या कहते हैं मोहित डिमरी 

निवास भू कानून समन्वय संघर्ष समिति के संयोजक मोहित डिमरी मूलनिवास पर बात करते हुए कहते हैं कि 2022 विधानसभा चुनाव पूर्व एक सूची जारी हुई थी, जिससे पता चला कि भाजपा के पूर्व शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने बतौर शिक्षा मंत्री अपने कार्यकाल में बिहार के अपने कई करीबियों को नौकरी दी है। 2022 में एम्स ऋषिकेश में राजस्थान के 600 लोगों को नर्सिंग संवर्ग में भर्ती किया गया। 2023 में आई उत्तराखंड नर्सिंग अधिकारी भर्ती में राजस्थान और यूपी मूल के अभ्यर्थियों का चयन हुआ और पैसे की लेन-देन की बात सामने आई। ऐसे कई मामले हैं, जिनमें समूह ग, घ के पदों पर उत्तराखंड के मूल निवासी युवाओं के बजाय बाहरी राज्यों के लोगों का चयन हुआ है। नौकरियां मिली है। साफ है कि उत्तराखंड में दूसरे प्रदेश के नौकरी माफिया नौकरी पर कब्ज़ा कर रहे हैं। हर तरह की नौकरियों और संसाधनों पर पहला अधिकार मूल निवासियों का होना चाहिए। 

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क्या है मूलनिवास, भूकानून आंदोलन 

लम्बे संघर्ष और 42 शहादतों के बाद सन 2000 में राज्य की नीव रखी गई, जिसमें पहाड़ों की राजधानी पहाड़ में एक सवाल बन कर रह गया। नए राज्य बनने पर जल, जंगल, जमीन और स्वास्थ, शिक्षा, रोजगार का मुद्दा भी तेजी से उठने लगा और इसी से भूकानून और मूल निवास की लड़ाई शुरू हो गई। उस लड़ाई को निवास भू कानून समन्वय संघर्ष समिति ने एक डोर में पिरोया और आम जनता के पास जाकर संघर्ष को तेज किया इसमें मूल निवास 1950 की मांग की गई। जिसके चलते उत्तराखण्ड में कई जगहों पर रैली भी की गई, जिसमें काफी संख्या में लोगों ने प्रतिभाग किया।

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