रक्षा बंधन के दिन किसी भी समय बांध सकते हैं भाई की कलाई पर राखी
प्रकाश शर्मा / ज्योतिषाचार्य
आज से 5-7 वर्ष पहले कोई भद्रा नही देखता था, सभी प्रातः ही राखी बंधवा लेते थे, पर आजकल नए लम्पट, स्वयंभू और स्वघोषित, अतिज्ञानी टाइप कई पंडित एवं ज्योतिषाचार्य रक्षा बंधन के दिन भद्रा का विचार बताते हैं, जो सर्वथा गलत है।
भद्रा होता है, लेकिन पाताल लोक में होता है, इसलिए पृथ्वी पर इसका कोई प्रभाव नहीं होगा। आइए, इसे विस्तार से समझते हैं।
भद्रा के बारे में
भद्रा का जन्म महादेव के शरीर से हुआ था, इसलिए इसके दोष से बचने के लिए महादेव की ही अराधना करनी चाहिए।
जिस तिथि में विष्टी करण व्याप्त हो उस तिथि में भद्रा बताया जाता है। उस तिथि में कौन सा नक्षत्र चल रहा है और वो नक्षत्र किस राशि में है, इससे स्पष्ट होगा कि भद्रा का निवास कहां है?
यदि चन्द्रमा 4, 5, 11, 12 राशि में चन्द्रमा का गोचर हो, तो भद्रा पृथ्वी पर है अर्थात मृत्यू लोक में कहेंगे।
1, 2, 3, 8 राशि में चन्द्रमा का गोचर हो, तो भद्रा को स्वर्ग लोक में कहेंगे।
6, 7, 9, 10 राशि में चन्द्रमा का गोचर हो, तो भद्रा पाताल लोक में कहेंगे।
किसी भी सावन पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा मकर राशि में ही रहता है और यदि चन्द्रमा मकर राशि में हो, तो भद्रा का वास पाताल में होने के कारण पृथ्वी वासियों को किसी भी प्रकार का कष्ट नहीं होता। इसलिए भाई बहन के इस त्योहार को प्रेम पूर्वक मनाएं। भद्रा आदि का परिहार्य स्वयं हो गया है, इसलिए इसको मानने की जरूरत नहीं है।