मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जिलों में जनप्रतिनिधियों को शामिल करने के दिए निर्देश
रीजनल रिपोर्टर ब्यूरो
जंलग की आग को लेकर मुख्यमंत्री ने पुष्कर सिंह धामी ने बैठक लेते हुए महत्वपूर्ण निर्देश जारी किए है। उन्होंने फायर लाइन काटने की बात कही ‘अंग्रेजो के समय से चली आ रही व्यवस्था है जिससे जंगलों को काफी हद तक बचाया जा सकता है।’ बुधवार को सचिवालय में आयोजित बैठक में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि फायर लाईन बनाने की कार्रवाई में वह स्वयं भी प्रतिभाग करेंगे। उन्होंने कहा कि इसमें जनप्रतिनिधियों को भी शामिल किया जाए।
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि वनाग्नि को पूर्णतः रोकने के लिए सभी सचिव को अलग-अलग जिलों की जिम्मेदारी दी जाए। उन्होंने कहा कि सभी सचिव संबंधित जनपदों में जाकर वनाग्नि से प्रभावित क्षेत्रों का स्थलीय निरीक्षण करें और वनाग्नि को रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाएं।
आग में अब तक 05 व्यक्तियों की मौत ही चुकी है, जबकि 04 लोग झुलसकर घायल भी हो चुके हैं। हालांकि, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सख्त रुख के बाद आग लगाने वालों के विरुद्ध 388 मुकदमे दर्ज कर 60 व्यक्तियों की गिरफ्तारी भी की जा चुकी है। दूसरी तरफ लापरवाही बरतने पर 10 कार्मिकों को निलंबित भी किया जा चुका है।
जिम्मेदारी सचिवों को और ठीकरा कर्मियों के सर
जंगल की आग में सवाल निरंतर सुलग रहे हैं। आखिर यह आग इतनी बेकाबू क्यों होती जा रही है? कौन लोग हैं, जो प्रकृति के दुश्मन बने बैठे हैं? जंगल की आग के विकराल रूप का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस फायर सीजन में अब तक उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में करीब 350 से अधिक तथा कुमाऊं क्षेत्र में 500 से अधिक स्थानों पर दावानल भड़कने की विभागीय सूचना है। इन घटनाओं में अब तक 1200 हैक्टेयर से अधिक वन क्षेत्र प्रभावित हुआ है।
छोटे कर्मचारियों की बली देकर वन विभाग अपना पल्ला नहीं झाड़ सकता। जंगलो में लगी आग पर इनकी क्या जिम्मेदारी रही? DFO लेवल के अधिकारियों का क्या होगा? इन पर कब गाज गिरेगी। इन से कौन सवाल करेगा। हमने धरातल पर वन दरोगा, फारेस्ट गार्ड, वन आरक्षी जैसे छोटे कर्मचारियों को भूखे प्यासे दवानल से लड़ते देखा है।
इन कर्मचारियों पर की गई कार्यवाही
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी कार्यवाही की बात तो कह रहे हैं परन्तु जब ग्राउण्ड लेबल पर बात आती है तो छोटे अधिकारियों के सर पर ठीकरा मड दिया जाता है जिसमें कि आज बुधवार, 8 मई को वनाग्नि नियंत्रण हेतु शिथिलता एवं लापरवाही के लिए 1 वन क्षेत्राधिकारी सम्बद्ध, 2 वन क्षेत्राधिकारीयों को कारण बताओ नोटिस निर्गत इसके अलावा, 4 वन दरोगा निलम्बित, 4 वन आरक्षी निलम्बित, 1 वाहन चालक निलम्बित, 1 क. सहायक निलिम्बत, 2 वन आरक्षी सम्बद्ध और 2 वन दरोगा को सम्बद्ध कार्यवाही के रूप में दण्डित किया गया है।
कम संसाधनों के बाद भी यह छोटे कर्मचारी आग से लड़ते हुए देखे जा सकते हैं। आग लगने की घटना पर इन छोटे कर्मचारियों ने क्या बड़ी गलती कर दी होगी साहब। किसी ने समय पर साब का फोन नहीं उठाया होगा। वाहन न होने के चलते घटना स्थल पर लेट पहुँचा होगा या मोटरसाइकिल पंचर हो गयी होगी लेकिन सवाल यह है कि फायर सीजन से पहले क्थ्व् लेवल के अधिकारियों ने आग से जंगलों के बचाव के लिए क्या नीति निर्धारित की, इसका असर धरातल पर क्यों नहीं दिखा?
पिरूल एकत्रीकरण के लिए प्रभावी योजना बनाई जाए
मुख्यमंत्री के निर्देश पर वनाग्नि को रोकने में लापरवाही बरतने वाले वन विभाग के 10 कार्मिकों को निलंबित किया गया है। अन्य कुछ कार्मिकों पर भी अनुशासनात्मक कार्यवाही के निर्देश दिए गए हैं। वनाग्नि को रोकने के लिए रिस्पांस टाईम कम से कम किया जाए। इसके अलावा मुख्यमंत्री ने कहा कि वनों से पिरूल एकत्रीकरण के लिए प्रभावी योजना बनाई जाए।
पिरूल संग्रहण केंद्र बनाए जाएं। इसमें सहकारिता विभाग का भी सहयोग लिया जाए। पिरूल एकत्रीकरण के लिए दी जाने वाली धनराशि में बढ़ोतरी भी की जाए।
प्रो-एक्टिव एप्रोच से काम करें अधिकारी
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि मानसून सीजन शुरू होने से पहले डेंगू, मलेरिया और अन्य जल जनित रोगों से बचाव के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा जागरूकता के साथ ही पूरी तैयारी की जाए। स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाए।
आपदा के दृष्टिगत स्वास्थ्य विभाग की रैपिड एक्शन टीम तैयार रखी जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि जनता की समस्याओं के समाधान के लिए अधिकारी प्रो-एक्टिव एप्रोच के साथ कार्य करें। जहां पेयजल की समस्या है, वहां टैंकर और खच्चर से पीने के पानी की आपूर्ति की जाए। इसके लिए सभी कार्यदायी संस्थाएं समन्वय के साथ कार्य करें।
चारधाम यात्रियों को मौसम अलर्ट की व्यवस्था
मुख्यमंत्री धामी ने निर्देश दिए कि राज्य में चारधाम यात्रा के दृष्टिगत भी सभी व्यवस्थाएं सुचारू रखी जाए। यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि मौसम की जानकारी से संबंधित अलर्ट एसएमएस के माध्यम से लोगों को मिले। चारधाम और मौसम से संबंधित अन्य सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए सूचना तंत्र को मजबूत बनाया जाए। श्रद्धालुओं की सुविधा के दृष्टिगत सभी विभाग अपने स्तर पर बेहतर व्यवस्थाएं सुनिश्चित करें।
बैठक में उपाध्यक्ष अवस्थापना अनुश्रवण परिषद श्री विश्वास डाबर, मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, अपर मुख्य सचिव आनंद बर्धन, प्रमुख सचिव आरके सुधांशु, प्रमुख वन संरक्षक डॉ. धनंजय मोहन, सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम, शैलेश बगोली, अरविंद सिंह ह्यांकी, रंजीत सिन्हा, दिलीप जावलकर, विनय शंकर पांडे, डॉ. आर राजेश कुमार, एडीजी एपी अंशुमान, महानिदेशक सूचना बंशीधर तिवारी, विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष एवं वर्चुअल माध्यम से सभी जिलाधिकारी उपस्थित थे।