राष्ट्रपति भवन के ‘दरबार हॉल’ और ‘अशोक हॉल’ का नाम बदला, जानें नए नाम

दरबार हॉल राष्ट्रीय पुरस्कारों की प्रस्तुति जैसे महत्वपूर्ण समारोह का स्थल
अशोक हॉल कई औपचारिक समारोह के लिए स्थान
रीजनल रिपोर्टर ब्यूरो

25 जुलाई को राष्ट्रपति भवन के दो प्रतिष्ठित स्थलों दरबार हॉल और अशोक हॉल का नाम बदलकर क्रमशः ‘गणतंत्र मंडप’ और ‘अशोक मंडप’ कर दिया गया है। राष्ट्रपति भवन, राष्ट्रपति कार्यालय और निवास राष्ट्र का प्रतीक और देश की अमूल्य विरासत माना जाता है।

इससे पूर्व राष्ट्रपति भवन के विश्व प्रसिद्ध ‘मुगल गार्डन’ का नाम भी बदला जा चुका है। गत वर्ष 28 जनवरी को ‘मुगल गार्डन’ का नाम बदलकर ‘अमृत उद्यान’ कर दिया गया था।

दरबार हॉल, जो अब ‘गणतंत्र मंडप’ हो गया है ऐसा स्थान है, जहाँ राष्ट्रीय पुरस्कारों के वितरण जैसे महत्वपूर्ण समारोहों का आयोजन होता रहा है। इसके गलियारे में देशभर के प्रसिद्ध मूर्तिकारों द्वारा उकेरी गई पूर्व भारतीय राष्ट्रपतियों की प्रतिमाएँ प्रदर्शित हैं।

भारत के राष्ट्रीय प्रतीक के साथ गहरे लाल रंग के 06 ऊँचे बैनर भी हॉल की शोभा बढ़ाते हैं। दीवार के सामने लाल मखमली पृष्ठभूमि पर भगवान बुद्ध की पाँचवीं शताब्दी की एक मूर्ति रखी गई है। इस मूर्ति के सामने राष्ट्रपति की कुर्सी रखी गई है।

वहीं, अशोक हॉल की बात करें जो अब ‘अशोक मंडप‘ हो गया है तो यह मूल रूप से एक बॉलरूम था। इस हॉल का उपयोग विदेशी देशों के मिशन प्रमुखों द्वारा अपने परिचय प्रस्तुत करने तथा राष्ट्रपति द्वारा आयोजित राजकीय भोज के आरंभ से पहले आने वाले तथा भारतीय प्रतिनिधिमंडलों के लिए औपचारिक परिचय स्थल के रूप में किया जाता है।

राष्ट्रपति सचिवालय द्वारा जारी बयान में कहा गया

“राष्ट्रपति भवन को लोगों के लिए और अधिक सुलभ बनाने के निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। जिससे कि राष्ट्रपति भवन का परिवेश और माहौल भारतीय संस्कृति और मूल्यों का प्रतिबिंब बने। इसलिए, महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु की इच्छानुसार राष्ट्रपति भवन के दो हॉल, ‘दरबार हॉल’ और ‘अशोक हॉल’ के नाम बदलकर क्रमशः ‘गणतंत्र मंडप’ और ‘अशोक मंडप’ कर दिए गए हैं। ”

“दरबार शब्द का आशय भारतीय शासकों और अंग्रेजों के दरबार और सभाओं से है। लेकिन भारत के गणतंत्र बनने के बाद, दरबार शब्द की प्रासंगिकता खत्म हो गई। ‘गणतंत्र’ की अवधारणा प्राचीन काल से ही भारतीय समाज में गहराई से निहित है, इसलिए आयोजन स्थल का नाम बदलकर गणतंत्र मंडप किया गया है।”

“अशोक’ शब्द का अर्थ एक ऐसे व्यक्ति से है, जो ‘सभी दुखों से मुक्त’ हो या ‘किसी भी दुख से रहित’ हो इसके अलावा अशोक का तात्पर्य एकता और शांति-पूर्ण सह-अस्तित्व के प्रतीक सम्राट अशोक से है। भारतीय गणराज्य का राष्ट्रीय प्रतीक अशोक का सिंह स्तंभ सारनाथ से है। यह शब्द अशोक वृक्ष को भी संदर्भित करता है, जिसका भारतीय धार्मिक परंपराओं के साथ-साथ कला और संस्कृति में भी गहरा महत्व है। ‘अशोक हॉल’ का नाम बदलकर ‘अशोक मंडप’ करने से भाषा में एकरूपता आएगी और अशोक शब्द प्रमुख मूल्यों को बरकरार रखते हुए अंग्रेजीकरण के निशान मिटेंगे। साथ ही ‘अशोक’ शब्द से जुड़े प्रमुख मूल्यों को भी कायम रखा जाएगा। “

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https://youtu.be/9QW0uH_UIwI?si=AisXhooa_L1YupZO

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