नफ़रत नहीं रोजगार दो अभियान: उत्तराखंड में जनसरोकारों पर वर्ष भर होंगे आयोजन No Hate, Employment Do Campaign: Events will be held throughout the year on public concerns in Uttarakhand

जगमोहन रौतेला /हल्द्वानी

जनसरोकारों के मुद्दों को पर बातचीत करने और उनपर रणनीति बनाने के लिए आज “नफरत नहीं रोजगार दो” अभियान की कोर कमेटी की बैठक हल्द्वानी में सम्पन्न हुई।
बैठक में “नशा नहीं रोजगार दो “आंदोलन को याद करते हुए जनता की समस्याओं के लगातार संघर्ष को रेखांकित किया।

बैठक में राज्य की अनेक जनसमस्याओं पर चर्चा हुई जिसमें प्रदेश में कानून के राज्य स्थापना में कोताही, वनाधिकार और अस्थाई बस्तियों के मालिककाना हक़ के सवाल, महिला सुरक्षा और कल्याणकारी योजनाओं की कमी, पूंजीपतियों को को जमीन लूटने की खुली छूट आदि मुद्दों पर बातचीत की गई।

बैठक में कोर कमेटी का मानना था कि कानून का राज और संवैधानिक मूल्यों पर लगातार हनन हो रहा है। सरकार के कार्यक्रमों में एक समुदाय की आबादी और बस्तियों को निशाना बनाया जा रहा है। धर्म के नाम पर नफरती संगठन अपराधिक अभियान चल रहे हैं और सरकार मुकदर्शक बन कर बैठी है। बैठक में इस बात की निंदा की गई।

वन अधिकार कानून, मजदूर बस्तियों में मालिकाना हक और और आश्रय का अधिकार के लिए बनी हुई नीतियों और नज़ूल भूमि को मालिकाना हक देने की नीति पर अमल न कर सरकार लगातार अतिक्रमण के नाम पर लोगों पर हमला कर रही है। साथ साथ में बड़े कॉर्पोरेट घरानों को राज्य की सरकारी जमीन, प्राकृतिक संसाधन दिए जा रहे हैं।

वनों पर वन अधिकार कानून के अनुसार जनहित नीति बनाने के बजाय सरकार परियोजनाओं, जंगली जानवरों के हमलों से हो रहे नुकसान पर नजर अंदाज कर जन विरोधी कदम लगातार उठा रही है। वन पशुओं के शिकार मनुष्यों की संख्या और उनसे हो रहा नुकसान लगातार बढ़ रहा है, न तो इस बारे में वन विभाग उचित प्रबंध कर रहा है और न पर्याप्त मुआवजा की नीति ही बनी है। और जो नीति है वो भी ढंग से लागू नहीं हो पा रही है।

महिला सुरक्षा और महिलाओं के बुनियादी हकों पर सरकार जन विरोधी कदम ही उठा रही है।
लोगों को राहत देने के बजाय कल्याणकारी योजनाओं में लगातार भ्रष्टाचार, लोगों को वंचित करने की प्रक्रिया दिखाई दे रही है। इनको सुधारने के बजाय सरकार बड़ी पूंजीपति के हित में नीतियां बना कर उनको अरबों को सब्सिडी देने के लिए पॉलिसी बना रही है। ऐसी नीतियां बनने से स्वाभाविक बात है कि रोजगार नहीं होगा और गरीबी एवं गैर बराबरी बढ़ती रहेगी।

इन सारे मुद्दों पर प्रदेश भर हो रहे आंदोलनों के साथ मिल कर आगे और तेज अभियान चलाने का निर्णय हुआ है। इन मुद्दों पर तिलाड़ी विद्रोह का वर्षगाठ 30 मई को राज्य भर में आंदोलन करने का ऐलान हुआ है। फिर 25 जुलाई को नई टिहरी में श्रीदेव सुमन के शहादत दिवस को लोकतंत्र दिवस के रूप में मनाया जायेगा। इस बीच 14 और 23 अप्रेल को बाबासाहेब आंबेडकर, महात्मा फुले एवं वीर चंद्र सिंह गढ़वाली की याद में भी कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा।

बैठक में समाजवादी लोक मंच के मुनीश कुमार, वन पंचायत संघर्ष मोर्चा के तरुण जोशी एवं हेमा जोशी, चेतना आंदोलन के शंकर गोपाल एवं विनोद बडोनी, उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के नरेश नौडियाल, उत्तराखंड सर्वोदय मंडल के अध्यक्ष इस्लाम हुसैन, भूमि अधिकार मंच की हीरा जंगपांगी, किसान संघर्ष समिति के ललित उप्रेती, उत्तराखंड लोक वाहिनी के राजीव लोचन साह और श्रमयोग के शंकर बरथवाल शामिल रहे।

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