नवोन्मेषी जन शिक्षक की तरह कार्य करते रहे स्व.रावत Late Rawat continued working as an innovative public teacher


पत्रकार जोध सिंह रावत के निधन पर शोक की लहर
गंगा असनोड़ा थपलियाल
गैरसैंण क्षेत्र में दैनिक जागरण के वरिष्ठ पत्रकार जोध सिंह रावत का गत दो नवंबर को निधन हो गया। बीते तीन दशक से पत्रकारिता करते रहे जोध सिंह रावत गैरसैंण में पिछले पांच दशकों से एक जन शिक्षक की तरह कार्य करते रहे। उनके असामयिक निधन से क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई।
26 जनवरी 1958 को चमोली जिले के देवलकोट गांव में जन्मे जोध सिंह रावत ने शिक्षा लखनऊ से ग्रहण की। 70 के दशक में गैरसैंण को अपनी कर्मभूमि के रूप में चुना व 80 के दशक में गैरसैंण में पहले निजी विद्यालय (बाल सदन) की स्थापना कर गैरसैंण में एक नवोन्मेषी जन शिक्षक की तरह कार्य शुरू किया।


पर्वतीय पत्रकार एसोसिएशन के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष तथा वर्तमान में गैरसैंण प्रेस क्लब के संरक्षक स्व.जोध सिंह रावत ने बाल सदन को स्थापित करने से लेकर आज तक के सफर में विद्यालय में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को वे एक अलग माहौल देने का भरसक प्रयास किया। यही कारण है कि एक समय में बाल सदन के विद्यार्थी रहे वैभव रिखाड़ी आज आईएएस अधिकारी हैं, तो इस विद्यालय के दर्जनों विद्यार्थी डॉक्टर, इंजीनियर, शिक्षक तथा कई अन्य क्षेत्रों में मुकाम हासिल किए हुए हैं। बाल सदन में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को रचनात्मकता के भरपूर अवसर वे प्रदान कराते रहे। आज गैरसैंण में करीब दो दर्जन निजी विद्यालय हैं। इनमें से कई विद्यालयों में अहं पदों पर विराजमान शिक्षक बाल सदन के अनुभवी शिक्षक हैं, तो दर्जनों शिक्षक उत्तराखंड के विभिन्न सरकारी, गैर सरकारी विद्यालयों में शिक्षण कार्य कर रहे हैं।


गढ़वाल मंडल विकास निगम के पूर्व उपाध्यक्ष सुरेश बिष्ट ने कहा कि स्व.रावत ने गैरसैंण को शिक्षा के क्षेत्र में एक अलग पहचान दिलाई व शिक्षा को नए मुकाम तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई। 30 वर्षों तक वे अपनी जनसरोकारी पत्रकारिता से गैरसैंण क्षेत्र के मुद्दों को धार देते रहे। उत्तराखंड राज्य आंदोलन में भी उनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका रही।

पत्नी गंगोत्री रावत का मिला अद्वितीय साथ
जन शिक्षण के इस कार्य में उनके जीवन में कई मुश्किलें व उतार चढ़ाव आये, किन्तु उन्होंने कभी हार नही मानी। पिता उमराव सिंह तथा माता बुद्धि देवी के साथ ही उनकी धर्मपत्नी गंगोत्री रावत ने उनकी हर मुश्किल घड़ी में कदम से कदम

मिलाकर साथ दिया और हर परिस्थिति का डट कर मुकाबला किया। पत्नी गंगोत्री रावत ने उनके अभियान की सफलता के लिए अपने नर्सिंग के करियर को भी छोड़ दिया, लेकिन पूरे जज्बे से बाल सदन को स्थापित करने में लगी रहीं।

कर्णप्रयाग में अलकनंदा तट पर हुआ अंतिम संस्कार
कर्णप्रयाग में अलकनंदा तट पर उनका अंतिम संस्कार हुआ। बड़े पुत्र अभिषेक रावत व छोटे पुत्र शैलेन्द्र रावत ने उन्हें मुखाग्नि दी। इस दौरान सैंकड़ों की संख्या में मौजूद क्षेत्रवासियों ने उन्हें नम आंखों से अंतिम विदाई दी।


अंतिम यात्रा में पूर्व राज्यमंत्री सुरेश कुमार बिष्ट, प्रेम संगेला, पुष्कर कोलखी, नगर पंचायत अध्यक्ष गैरसैंण पुष्कर सिंह रावत, गिरीश डिमरी, पत्रकार महेश जुयाल, अवतार सिंह नेगी, हरिकृष्ण भट्ट, मुकेश नेगी, बख्तावर सिंह पंवार, बीएस बुटोला, अमर राणा, चन्द्र बुटोला, सुरेन्द्र रावत, जितेंद्र पंवार, कालिका प्रसाद सती, गोपी डिमरी, हरपाल नेगी, ललिता प्रसाद लखेड़ा, भैरव दत्त असनोड़ा सहित गैरसैंण, कर्णप्रयाग व चमोली के प्रेस प्रतिनिधि, क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि व सैंकड़ों की संख्या में गैरसैंण, मेहलचोरी, कर्णप्रयाग, चमोली, गौचर, आदिबद्री के क्षेत्रवासी शामिल रहे।
परिवार के इकलौते पुत्र जोध सिंह रावत अपने पीछे पत्नी गंगोत्री रावत, 107 वर्षीय माता बुद्धि देवी, पुत्र अभिषेक, शैलेन्द्र, बहू मीना, पूजा, नाती पारस व विवाहित पुत्री हंसा सहित भरा पूरा परिवार छोड़ गए हैं।

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