चमोली जिले के कर्णप्रयाग तहसील के रानीगढ़ क्षेत्र में स्थित सिदोली गाँव की रहने वाली लीला देवी ने संघर्ष और आत्मविश्वास के बल पर कीवी की खेती में एक नई मिसाल कायम की है। अपने पति विक्रम सिंह बिष्ट के असामयिक निधन के बाद, लीला देवी ने न केवल अपने परिवार को सहारा दिया, बल्कि गाँव के लिए भी स्वरोजगार के नए अवसर उत्पन्न किए, जिससे उनके साहस और समर्पण की कहानी सभी के लिए प्रेरणा बन गई है।
पति की प्रेरणा से शुरू किया कार्य
विक्रम सिंह बिष्ट, जो सिदोली क्षेत्र के जुझारू व कर्मठ व्यक्ति थे।अपने जीवन में कई नवाचार कर चुके थे। लकड़ी और पत्थर की नक्काशी में उनकी महारत ने उन्हें क्षेत्र का एक सम्मानित कलाकार और प्रेरणास्त्रोत बना दिया था। साथ ही, पर्यावरण के प्रति उनकी जागरूकता ने उन्हें कीवी की खेती के क्षेत्र में पहली बार कदम बढ़ाने के लिए प्रेरित किया। परंतु उनका यह सफर अधूरा रह गया जब उनका आकस्मिक निधन हो गया।
संघर्ष और दृढ़ संकल्प की मिसाल
पति के निधन के बाद लीला देवी को अपने परिवार के भरण-पोषण का संकट सताने लगा। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और अपने पति के अधूरे सपने को पूरा करने का निश्चय किया। अपनी तीन नाली भूमि पर आठ मादा और दो नर कीवी के पौधे लगाकर लीला देवी ने कीवी की खेती की शुरुआत की। उनकी मेहनत रंग लाई, और अब वे हर साल अपनी कीवी की उपज को बेचकर अपने परिवार की आर्थिक जरूरतों को पूरा कर रही हैं।

परिवार का सामूहिक योगदान
विक्रम सिंह के निधन के बाद उनके परिवार ने एकजुट होकर इस कार्य में लीला देवी का साथ दिया। उनके भाई विशेषकर सागर सिंह ने फलों की देख-रेख, पैकेजिंग और बाजार में बिक्री का जिम्मा उठाया। अब तक उनका परिवार तीन कुंटल से अधिक कीवी फल बेच चुका है, जिससे प्राप्त मुनाफा परिवार की भलाई और विक्रम सिंह की स्मृति में उनके अधूरे कार्यों को पूरा करने के लिए उपयोग किया जाता है।
प्रेरणा का स्रोत और एक नई दिशा
लीला देवी की मेहनत और संघर्ष अब पूरे सिदोली क्षेत्र में एक मिसाल बन चुका है। उन्होंने न केवल अपने परिवार को आर्थिक रूप से मजबूत बनाया, बल्कि गाँव के अन्य लोगों के लिए भी एक प्रेरणास्त्रोत बन गई हैं। उनके प्रयासों से क्षेत्र में स्वरोजगार की संभावनाएँ बढ़ी हैं, और उन्होंने साबित कर दिया है कि अगर मन में दृढ़ निश्चय और आत्मविश्वास हो, तो किसी भी कठिनाई का सामना किया जा सकता है।

लीला देवी की यह प्रेरणादायक कहानी पूरे क्षेत्र में नई ऊर्जा और आत्मनिर्भरता की भावना का संचार कर रही है। उनके साहस ने कई ग्रामीण महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बनने और अपने पैरों पर खड़े होने के लिए प्रेरित किया है, जिससे क्षेत्र में एक नई आशा और सकारात्मकता का संचार हुआ है।
लीला देवी की कहानी इस बात का जीवंत प्रमाण है कि सच्ची मेहनत और लगन से कोई भी असंभव कार्य संभव किया जा सकता है।