एनजीटी ने पेड़ कटान पर यूपी सरकार से मांगा जवाब
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के मुताबिक, उत्तर प्रदेश सरकार ने कांवड़ यात्रा के लिए 17,600 पेड़ काट दिए हैं। एनजीटी द्वारा गठित चार सदस्यीय पैनल ने ट्रिब्यूनल को बताया है कि कांवड़ यात्रा के लिए नया मार्ग बनाने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद, मेरठ और मुजफ्फरनगर जिलों में करीब 17,600 पेड़ काटे गए हैं।
एनजीटी ने प्रस्तावति कांवड़ कॉरिडोर के निर्माण के लिए काटे जाने वाले पेड़ों की संख्या बताने का आदेश राज्य के पर्यावरण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को दिया है। मुख्य सचिव को एनजीटी को दो सप्ताह के भीतर अपना हलफनामा दाखिल करना होगा।
एनजीटी को एक कमेटी ने सूचित किया था कि कांवड़ यात्रा मार्ग बनाने के लिए उत्तर प्रदेश के तीन जिलों में 17,600 से अधिक पेड़ काटे गए हैं।
एनजीटी गाजियाबाद के मुरादनगर और मुजफ्फरनगर के पुरकाजी के बीच प्रस्तावित मार्ग के लिए गाजियाबाद, मेरठ और मुजफ्फरनगर के तीन वन प्रभागों के संरक्षित वन क्षेत्र में एक लाख से अधिक पेड़ों और झाड़ियों की कथित कटाई से संबंधित एक मामले की सुनवाई कर रहा है। इस मामले की अगली सुनवाई 25 नवंबर को होगी।
बता दें कि, उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्रस्तावित 111 किमी. लंबी सड़क उत्तराखंड के नज़दीक मुरादनगर से पुरकाजी तक ऊपरी गंगा नहर की दाहिनी शाखा के साथ बनाई जाएगी।
प्रस्तावित कांवर मार्ग गाजियाबाद, मेरठ और मुजफ्फरनगर से होकर गुजरेगा। इसके लिए 222.98 हेक्टेयर संरक्षित वन भूमि के डायवर्जन की आवश्यकता होगी और तकरीबन 1,12,722 पेड़ों को काटे जाने की बात कही गई थी।
इस साल अगस्त के महीने में एनजीटी ने संयुक्त पैनल का गठन किया था, जो पेड़ की कथित कटाई से संबंधित मामले की सुनवाई कर रहा था।
छह नवंबर को दिए गए आदेश में एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की पीठ ने कहा कि तथ्यों का पता लगाने के लिए पहले गठित एक संयुक्त समिति ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट सौंप दी है।
समिति में भारतीय वन सर्वेक्षण के निदेशक, केंद्रीय पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक, राज्य के मुख्य सचिव या उनके प्रतिनिधि और मेरठ के जिलाधिकारी शामिल थे।
पीठ ने कहा, ‘‘अंतरिम रिपोर्ट में कहा गया है कि सिंचाई विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, नौ अगस्त, 2024 तक तीनों जिलों में 17,607 पेड़ काटे जा चुके हैं।’’
अधिकरण ने कहा कि 1,12,722 पेड़ों को काटने की अनुमति दी गई थी, लेकिन बाद में केवल 33,776 पेड़ों को काटने का निर्णय लिया गया।
उन्होंने कहा कि, ‘‘उत्तर प्रदेश राज्य को यह स्पष्ट करने का निर्देश दिया जाता है कि काटे जाने वाले पेड़ों की संख्या की गणना क्या उत्तर प्रदेश वृक्ष संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार की गई है।’’
अधिकरण ने राज्य के पर्यावरण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को दो सप्ताह के भीतर एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया, जिसमें मार्ग के निर्माण के दौरान काटे जाने वाले पेड़ों की संख्या बताई जाए।