पूजा खेडकर अब IAS अफसर नहीं: UPSC ने रद्द किया चयन, भविष्य में नहीं दे सकेंगी कोई भी परीक्षा

स्टेट ब्यूरो

 ट्रेनी IAS पूजा खेडकर पर एक के बाद एक कई आरोप लगे थे। उन पर फर्जी विकलांगता प्रमाणपत्र के आधार पर यूपीएससी परीक्षा देने और फर्जी तरीके से ओबीसी नॉन क्रीमी लेयर कोटे का लाभ लेने का आरोप है।

UPSC ने बुधवार 31 जुलाई को उनका सिलेक्शन रद्द कर दिया और कहा कि वह भविष्य में UPSC का कोई एग्जाम नहीं दे पाएंगी।

पूजा पर उम्र, माता-पिता की गलत जानकारी, पहचान बदलकर तय सीमा से ज्यादा बार सिविल सर्विसेस का एग्जाम देने का आरोप था। UPSC ने दस्तावेजों की जांच के बाद पूजा को सीएसई-2022 नियमों के उल्लंघन का दोषी पाया। पूजा को एग्जाम में 2022 में 841वीं रैंक मिली थी। वे 2023 बैच की ट्रेनी IAS हैं। जून 2024 से ट्रेनिंग कर रही थीं।

परीक्षा में लगाए फर्जी दस्तावेज
पूजा खेडकर ने UPSC परीक्षा देने के लिए फर्जी दस्तावेजों का उपयोग किया। विकलांगता कोटे का लाभ लेने के लिए उन्होंने वर्ष 2019 में अहमदनगर जिला अस्पताल से दृष्टिबाधित प्रमाणपत्र बनवाया और उसी आधार पर यूपीएससी का फॉर्म भरा। इतना ही नहीं, वर्ष 2021 में पूजा खेडकर ने इसी जिला अस्पताल से दृष्टिबाधित और मानसिक बीमारी के लिए एक संयुक्त प्रमाणपत्र भी बनवा लिया

आरोप यह भी है कि पूजा खेडकर ने वर्ष 2022 में एक अन्य अस्पताल से अपने बाएं घुटने में विकलांगता का हवाला देकर एक और विकलांगता प्रमाणपत्र बनवा लिया। 

UPSC ने अपनी जांच में क्या पाया

UPSC ने 2009 से 2023 तक 15,000 से अधिक रिकमेंड किए गए उम्मीदवारों के डेटा की जांच की। इसमें पाया गया कि उनके अलावा किसी अन्य उम्मीदवार ने CSE नियमों के तहत तय अटेम्प्ट से ज्यादा अटेम्प्ट नहीं दिए थे। पूजा खेडकर का मामला एकमात्र था। उन्होंने कई बार न केवल अपना नाम बल्कि अपने माता-पिता का नाम भी बदलकर परीक्षा दी थी, इसलिए UPSC की स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर (SOP) उनके अटेम्प्ट्स की संख्या का पता नहीं लगा सकी। UPSC अपनी SOP को और मजबूत करने की प्रक्रिया में है ताकि भविष्य में ऐसे मामले दोबारा न हों।

 इतना ही नहीं, उन्होंने कई तरह के फर्जी दस्तावेजों का भी इस्तेमाल किया। जब उनको इस संबंध में UPSC की ओर से नोटिस जारी किया गया, तो उन्होंने तय समय सीमा में इस नोटिस का जवाब नहीं दिया। उन्होंने 4 अगस्त तक का समय मांगा था, लेकिन UPSC ने जवाब दाखिल करने के लिए 30 जुलाई तक का समय दिया था, जिसमें वह असफल रहीं।

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