प्रसिद्ध कथाकार प्रेमचंद जयंती: प्रेमचंद के साहित्य पर बनी फिल्मों के बहाने विमर्श

डा अतुल शर्मा

महान कथा शिल्पी प्रेमचंद के उपन्यास और कहानियों पर बनी फिल्मों मे कथा सार और साहित्य की अंतरलय आयी । महत्वपूर्ण सिने निर्देशकों के गहरे प्रयासों ने नये समय के सिने माध्यम से प्रेमचंद के कथा साहित्य को प्रस्तुत किया है।
कुछ यादगार फिल्मों मे सत्यजीत राय की फिल्म 1977 मे आयी शतरंज के खिलाड़ी। अभिनेता संजीव कुमार शबाना आजमी स ईद जाफरी अमजद खां आदि ने अभिनय किया था।


1963 मे आयी थी – गोदान। इसमे राजकुमार और कामिनी कौशल ने अभिनय किया था। 1938 मे आयी सेवा सदन। इसमे सुब्बोलक्षमी ने अभिनय किया था। 1966 मे ऋषिकेश मुखर्जी द्वारा निर्देशित गबन फिल्म आयी। इसमे सुनील दत्त व साधना ने अभिनय किया था। 1981 मे सत्य जीत राय द्वारा निर्देशित फिल्म आयी सदगति। अभिनय किया था_ स्मिता पाटिल और ओम पुरी का। 1994 मे आयी बासु चटर्जी की फिल्म त्रियाचरित। इसमे नसीरुद्दीन शाह और ओम पुरी थे।

प्रेमचंद जैसे गहरे कथा कार की गहराई फिल्म माध्यम मे आ पा रही है या कितनी आ पा रही है या नहीं आ पा रही है। दोनो क्रिएटिव काम है पर एक मे कैमरे की भाषा है जो साहित्य की भाषा। दोनो कितनी मिल पा रही है,,, यह भी एक प्रश्न हो सकता है।

इस बात को दो तरह से कहा जा सकता है। एक तो प्रेमचंद जब 1933 मे फिल्मी दुनिया मे गये तो बम्बई के उनके अनुभव कुछ अच्छे नही रहे। उनकी कहानी पर फिल्म बनी ” मिल मज़दूर” । जिसको कथाकार प्रेमचंद ने पसंद नही किया था। शायद उनका कहना यह भी था कि फिल्म का माध्यम अलग है जिसकी वजह उनकी साहित्य कृति के साथ न्याय नही हो पाया।

दूसरी बात यह कि जब हम साहित्य को पढते है तो एक अपनी तरह का चित्र निर्मित होता है। अब वह फिल्म मे भी आयेगा यह कतैई ज़रुरी नही। शायद संभव भी नहीं है। कल्पनाशीलता पाठक की और फिल्म मेकर की अलग हो ही सकती है।

फिर भी फिल्म माध्यम मे निर्देशक, कथ्य और शिल्प के साथ के साथ महौल के साथ पात्रो आदि मे कृति के साथ समरस करने का प्रयास करता ही है।

प्रेमचंद जैसे महान कथा शिल्पी के कृतियों पर बहुत सी फिल्मे बनी है और आगे भी बनेगी। जिससे कहानी उपन्यास नये माध्यम के साथ सामने आयेगे।

दूरदर्शन के धारावाहिक भी कथाकार प्रेमचंद की कहानियों पर बने है, जो सीधे सीधे जुड़ते है।

अब दर्शक उस माध्यम से कितना जुड़ते है यह फिल्मकारों पर भी निर्भर है। इसके लिए वे कोई समझौता साहित्य कृति के साथ नही करते। अगर करते है तो वह कुछ भी हो पर साहित्य से अलग हो जायेगा।

उपन्यास सम्राट प्रेमचंद कालजयी कथाकार हैं। अमर कृतियों का पठन पाठन हो रहा है और आज के दृष्य श्रव्य माध्यम भी उन्हें पहुचा रहे हैं।

गोदन गबन नमक का दारोगा सदगति आदि पर महत्वपूर्ण निर्देशकों ने नाटक भी मंचित किये है।

प्रेमचंद का साहित्य अमर है।

(लेखक चर्चित जनकवि, साहित्यकार एवं टिप्पणीकार हैं।

पता: विहार, जैन प्लाट अधोईवाला देहरादून)

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