आज ही के दिन 26 नवम्बर को हमारे देश ने संविधान को अपनाया था। भीमराव आंबे़डकर के नेतृत्व में हमारा संविधान बना जिसके बाद इसे आज तक सर्वोपरि माना जाता है। इस बात को आज 75 साल हो गए हैं। देश आज संविधान दिवस मना रहा है।
संविधान दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित किया। यह संयुक्त सत्र संसद के सेंट्रल हॉल में आयोजित हुआ।
मंगलवार को देश में संविधान लागू होने के 75 साल पूरे हो गए हैं। इस दौरान राष्ट्रपति मुर्मू ने संविधान दिवस के अवसर पर विशेष स्मारक सिक्का भी जारी किया। साथ ही राष्ट्रपति ने एक विशेष डाक टिकट भी जारी किया। संविधान दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, पीएम मोदी, उपराष्ट्रपति ने संस्कृत भाषा में संविधान की प्रति का विमोचन भी किया।
संविधान, हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों की आधारशिला’
संविधान दिवस पर अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने कहा कि ‘संविधान दिवस के पावन अवसर पर आप सभी के बीच आकर मुझे बेहद खुशी हो रही है। आज हम सब एक ऐतिहासिक अवसर के भागीदार बन रहे हैं।
75 साल पहले संसद के इसी कक्ष में देश के संविधान के निर्माण का बहुत बड़ा काम संपन्न किया और उसी दिन इस संविधान को अपनाया गया। संविधान हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों की आधारशिला है। आज कृतज्ञ राष्ट्र की तरफ से संविधान सभा के सदस्यों को श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं। बाबा आंबेडकर ने संविधान सभा का नेतृत्व किया।’
संविधान एक जीवंत और प्रगतिशील दस्तावेज’
हमारा संविधान एक जीवंत और प्रगतिशील दस्तावेज है। हमने संविधान के माध्यम से सामाजिक न्याय के अनेक लक्ष्यों को हासिल किया है। हमारे संविधान निर्माताओं ने अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को मजबूत बनाने का संदेश दिया है। आज देश आर्थिक रूप से मजबूत होने के साथ ही विश्वबंधु के विचारों को बढ़ावा दे रहा है।’
भारत के संविधान दिवस का इतिहास
हमारे देश में हर साल 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाया जाता है। दरअसल, इस दिन 1949 में भारत का संविधान अपनाया गया था। हमारे संविधान को बनाने में 02 वर्ष, 11 माह और 18 दिन का समय लगा। जिसके बाद भारत गणराज्य का संविधान को 26 नवंबर, 1949 को संविधान सभा द्वारा अंगीकृत किया गया था। और फिर 26 जनवरी 1950 को संविधान देश में पूरी तरह से लागू किया गया।
संविधान निर्माण में अहम भूमिका
भारत में संविधान का जनक डॉ भीवराव आंबेडकर को कहा जाता है। क्योंकि इन्होंने 7 सदस्यों की कमेटी होने के बावजूद अकेले ही संविधान का मसौदा तैयार किया था।
संविधान सभा की प्रारूप समिति में जिन सात लोगों कन्हैयालाल मुंशी, मोहम्मद सादुल्लाह, अल्लादि कृष्णस्वामी अय्यर, गोपाळ स्वामी अय्यंगार, एन. माधव राव और टीटी कृष्णामचारी को रखा गया। उनमें से एक सदस्य बीमार हो गए, दो दिल्ली के बाहर थे, एक विदेश में थे, एक ने बीच में इस्तीफा दे दिया था और वहीं एक सदस्य ने समिति जॉइन ही नहीं की थी।
भारत का संविधान दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है। इस में 448 अनुच्छेद, 12 अनुसूचियां और 25 भाग हैं। भारतीय संविधान संघात्मक और एकात्मक दोनों तरह का है। हमारे संविधान में मौलिक अधिकारों के साथ-साथ मौलिक कर्तव्यों का भी जिक्र है।
भारत का संविधान किसने लिखा
भारतीय संविधान प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने अपने हाथों से लिखा था। उन्होंने मूल संविधान को प्रवाहपूर्ण इटैलिक शैली में लिखा। जबकि मूल संविधान के हिंदी संस्करण का सुलेखन वसंत कृष्ण वैद्य ने किया था। प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने संविधान केवल एक शर्त पर लिखा था कि उनका और उनके दादा का नाम संविधान में जोड़ा जाएगा।
26 नवंबर को ही संविधान को अनाधिकृत तौर पर क्यों लागू किया गया?
26 नवंबर को ही संविधान को अनाधिकृत तौर पर क्यों लागू किया गया। दरअसल, इस दिन संविधान निर्माण समिति के वरिष्ठ सदस्य डॉ. सर हरिसिंह गौर का जन्मदिन होता है। हालांकि, पहली बार संविधान दिवस साल 2015 से मनाया गया और तब से हर साल 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।
वहीं, वर्ष 2015 में संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर की 125वीं जयंती थी। आंबेडकर को श्रद्धांजली देने के लिए इसी वर्ष संविधान दिवस मनाने का फैसला गया। यह फैसला सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने लिया था।