चार माह में 35 दवाईयों के हो चुके सैंपल फेल
रीजनल रिपोर्टर ब्यूरो
उत्तराखंड के ऊधमसिंहनगर जनपद के काशीपुर व हरिद्वार जनपद में रुड़की में बनीं पांच दवाइयों के सैंपल केंद्रीय दवा मानक नियंत्रण संगठन (CDSO) की जांच में फेल पाए गए। इनकी गुणवत्ता मानकानुसार न होने पर दवा बनाने वाली कंपनियों के लाइसेंस निलंबित कर दिए हैं, साथ ही जांच में फेल पाए गए दवाइयों को बाजार से वापस मंगवाने के आदेश भी दिए हैं।
ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, 1940 एंड रूल्स 1945 (The Drugs & Cosmetics Act,1940 and rules 1945) के तहत CDSCO दवाओं के अनुमोदन, क्लिनिकल परीक्षणों के संचालन, दवाओं के मानक तैयार करने, देश में आयातित दवाओं की गुणवत्ता पर नियंत्रण और राज्य दवा नियंत्रण संगठनों को विशेषज्ञ सलाह प्रदान करके ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट के प्रवर्तन में एकरूपता लाने के लिये उत्तरदायी है।बता दें कि चार माह में उत्तराखंड में निर्मित 35 दवाओं के सैंपल फेल हो चुके हैं। बीते वर्षों में भारत में निर्मित कुछ दवाओं की गुणवत्ता को लेकर सवाल उठे थे। खासकर उज्बेकिस्तान और जांबिया में बच्चों की मौत को भारत में बनी खांसी की दवा से जोड़ा गया था। जिसके बाद केंद्र सरकार ने दवाओं की निगरानी बढ़ा दी है।
उत्तराखंड भी फार्मा विनिर्माण का बड़ा हब है। देश में निर्मित दवाइयों में उत्तराखंड का 20-25 फीसदी योगदान है। यहां से कई दवाइयां निर्यात की जाती है। केंद्रीय दवा मानक नियंत्रक संगठन ने जून माह की जांच रिपोर्ट जारी की है। जिसमें देशभर में निर्मित 31 दवाइयों की गुणवत्ता मानकों के अनुरूप नहीं मिली। इनमें उत्तराखंड में निर्मित पांच दवाएं भी शामिल हैं।
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खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन के अपर आयुक्त एवं औषधि नियंत्रक ताजबर सिंह ने बताया कि दवाइयों की गुणवत्ता जांच के लिए सीडीएसओ के माध्यम से सैंपलिंग की जाती है। सीडीएसओ की रिपोर्ट के आधार पर संबंधित कंपनियों के उत्पाद लाइसेंस निलंबित करने की कार्रवाई की गई।
पिछले चार माह उत्तराखंड में निर्मित 35 दवाओं के सैंपल फेल पाए गए। जिनके खिलाफ विभाग ने कार्रवाई की है। उन्होंने बताया कि जिन दवाओं के सैंपल जांच में मानकानुसार नहीं पाए गए हैं उनमें इटोरिकोक्सिब, ट्रेनेग्जामिक एसिड, रेंटिडिन, एस्मोप्रोजोल और पेंटाप्रोजोल शामिल हैं।