सिद्धपीठ कालीमठ मन्दिर में सरस्वती नदी के वेग से हो रहे कटाव का नहीं हो पा रहा ट्रीटमेंट
लक्ष्मण सिंह नेगी/ऊखीमठ
सिद्धपीठ कालीमठ के मन्दिर परिसर की सुरक्षा दीवार के निचले हिस्से में धीरे-धीरे सरस्वती नदी के कटाव होने से सुरक्षा दीवार को खतरा बना हुआ है, ट्रीटमेंट नहीं किया गया तो आगामी समय में सुरक्षा दीवार को भारी क्षति पहुंच सकती है।
स्थानीय परेशान है सुरक्षा दीवार के आने वाले संकट से –
स्थानीय जनप्रतिनिधियों, ग्रामीणों व विद्वान आचार्यों का कहना है कि शासन-प्रशासन को कई बार नदी के कटाव से हो रहे स्थान का ट्रीटमेंट करने की गुहार लगायी गयी है। मगर सरस्वती नदी के कटाव वाले स्थान का ट्रीटमेंट करने को राजी नहीं है।
वर्ष 16, 17 जून 2013 को सरस्वती नदी के उफान में आने के कारण मन्दिर परिसर की सुरक्षा दीवार पूर्णतया क्षतिग्रस्त हो गयी थी। दीवार के क्षतिग्रस्त होने के बाद वर्ष 2014 में बी एस एफ द्वारा 80 मीटर सुरक्षा दीवार का निर्माण किया गया था।
बीती बरसात से भी नहीं हो पाया है ट्रीटमेंट –
बीते बरसात में सरस्वती नदी का वेग सुरक्षा दीवार की तरफ होने से सरस्वती नदी के कटाव से सुरक्षा दीवार को खतरा बना हुआ है। यदि आने वाले बरसात से पूर्व सरस्वती नदी के कटाव वाले स्थान का ट्रीटमेंट नहीं किया गया तो सुरक्षा दीवार का खतरा उत्पन्न हो सकता है।
मन्दिर प्रबन्धक प्रकाश पुरोहित ने बताया कि विगत बरसात में सरस्वती नदी का वेग सुरक्षा दीवार की तरफ होने से सुरक्षा दीवाल के निचले हिस्से में भूकटाव शुरू हो गया है तथा तेज बहाव के कारण हो रहे भूकटाव का ट्रीटमेंट नहीं किया गया तो इससे उत्पन्न हो सकता है।
आने वाली बरसात में सुरक्षा दीवार टूटने का भय
विद्वान आचार्य दिनेश चन्द्र गौड़ ने बताया कि बीते बरसात के समय सरस्वती नदी के कटाव से सुरक्षा दीवार को नुकसान होता शुरू हो गया था तथा आगामी बरसात से पूर्व ट्रीटमेंट नहीं किया गया तो बरसात में सुरक्षा दीवार को भारी नुकसान हो सकता है।
उन्होंने बताया कि शासन-प्रशासन से कई बार सुरक्षा दीवार के ट्रीटमेंट की गुहार लगाई गयी है मगर आज तक सरस्वती नदी के वेग से हो रहे कटाव का ट्रीटमेंट नहीं हो पाया है।
सिंचाई विभाग व पर्यटन विभाग से गुहार –
मठापति अब्बल सिंह राणा का कहना है कि सरस्वती नदी के वेग से हो रहे कटाव की सुरक्षा के लिए कई बार सिंचाई विभाग व पर्यटन विभाग से गुहार लगाई गयी है। उन्होंने बताया कि भण्डार कक्ष के नीचे भी लगातार भूधसाव होने से भण्डार कक्ष का अस्तित्व खतरे में है तथा चैत्र व शारदीय नवरात्रों में भण्डारे का आयोजन करने वाले श्रद्धालुओं को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।