नेपाल की राजधानी काठमांडू में शुक्रवार, 28 मार्च 2025 को राजशाही की बहाली और हिंदू राष्ट्र की मांग को लेकर प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच हिंसक झड़पें हुईं। इस घटना में दो लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हुए।
अधिकारियों ने बताया कि झड़प के दौरान गोली लगने से काठमांडू के 29 वर्षीय सबिन महराजन की अस्पताल में मौत हो गई।तिनकुने क्षेत्र में एक इमारत से विरोध प्रदर्शन का वीडियो शूट करते समय एवेन्यूज टेलीविजन के फोटो पत्रकार सुरेश रजक की मृत्यु हो गई।
शुक्रवार को हजारों राजशाही समर्थक प्रदर्शनकारी काठमांडू के तिनकुने और भृकुटिमंडप क्षेत्रों में एकत्रित हुए। उन्होंने “राजा आओ, देश बचाओ” और “हमें राजशाही चाहिए” जैसे नारे लगाए।
प्रदर्शनकारियों ने सुरक्षा घेरा तोड़ने की कोशिश की और पुलिस पर पथराव किया। जवाब में पुलिस ने आंसू गैस और पानी की बौछारों का इस्तेमाल किया।
इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने एक व्यावसायिक परिसर, शॉपिंग मॉल, एक राजनीतिक दल के मुख्यालय और एक मीडिया हाउस की इमारत में आग लगा दी। इस हिंसा में 12 से अधिक पुलिसकर्मी घायल हुए।

कई इलाकों में कर्फ्यू लागू
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए, सरकार ने काठमांडू के शांतिनगर पुल और मनोहरा नदी पुल के बीच, कोटेश्वर, तिनकुने, हवाई अड्डा क्षेत्र, बानेश्वर चौक और गौशाला सहित कई इलाकों में कर्फ्यू लागू किया। साथ ही, सेना को सड़कों पर तैनात किया गया है ताकि कानून और व्यवस्था बनाए रखी जा सके। गृह मंत्रालय में सुरक्षा प्रमुखों की आपात बैठक भी बुलाई गई, जिसमें पूर्व राजा ज्ञानेन्द्र शाह की संभावित गिरफ्तारी पर चर्चा की गई।
पृष्ठभूमि:
नेपाल ने 2008 में संसद द्वारा राजशाही को समाप्त कर दिया था, जिससे यह एक धर्मनिरपेक्ष, संघीय, लोकतांत्रिक गणराज्य बन गया। हालांकि, हाल ही में राजशाही की बहाली की मांग तेज हो गई है, खासकर जब पूर्व राजा ज्ञानेन्द्र ने 19 फरवरी को लोकतंत्र दिवस के अवसर पर जनता से समर्थन की अपील की थी।
इस महीने की शुरुआत में, जब ज्ञानेन्द्र धार्मिक यात्रा से लौटे, तो त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर बड़ी संख्या में राजशाही समर्थकों ने उनका स्वागत किया। प्रदर्शनकारियों ने “राजा वापस आओ, देश बचाओ” और “हमें राजशाही चाहिए” जैसे नारे लगाए।