तालिबान ने अफगानिस्तान में धार्मिक कारणों से शतरंज पर लगाया प्रतिबंध

अफगानिस्तान में तालिबान शासन के तहत एक बार फिर सामाजिक और सांस्कृतिक स्वतंत्रताओं पर लगाम कसने का सिलसिला जारी है। हाल ही में तालिबान सरकार ने धार्मिक विचारों के आधार पर शतरंज खेल पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है।

यह कदम “पुण्य संवर्धन और दुराचार निवारण मंत्रालय” (Ministry of Promotion of Virtue and Prevention of Vice) की सिफारिशों के तहत लिया गया है, जिससे देश में मनोरंजन और खेल की आज़ादी को लेकर चिंताएं और बढ़ गई हैं।

धार्मिक तर्कों पर आधारित प्रतिबंध

खामा प्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, तालिबान ने शतरंज पर यह कहते हुए प्रतिबंध लगाया है कि यह खेल इस्लामी मूल्यों और धार्मिक शिक्षाओं के अनुरूप नहीं है।

तालिबान का मानना है कि शतरंज जैसे खेल लोगों का समय बर्बाद करते हैं और उन्हें धार्मिक कर्तव्यों से भटकाते हैं। पुण्य संवर्धन और दुराचार निवारण मंत्रालय के मुताबिक, शतरंज “गैर-इस्लामी” गतिविधियों की श्रेणी में आता है, और इसे अफगान समाज में प्रोत्साहित नहीं किया जाना चाहिए।

खेल मंत्रालय की पुष्टि

तालिबान के नेतृत्व वाले खेल मंत्रालय ने 11 मई 2025 को इस प्रतिबंध की पुष्टि की और घोषणा की कि शतरंज से जुड़ी सभी गतिविधियां तत्काल प्रभाव से अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई हैं।

इससे पहले भी तालिबान ने विभिन्न खेलों, संगीत, नृत्य और अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों पर रोक लगाने के कई प्रयास किए हैं।

अतीत में भी रहा है विरोध

यह पहली बार नहीं है जब तालिबान ने शतरंज या अन्य मनोरंजन गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाया है। 1996 से 2001 तक के अपने पहले शासन काल में भी तालिबान ने शतरंज सहित कई खेलों पर रोक लगा दी थी। तब इसे “अनैतिक” और “इस्लाम विरोधी” करार दिया गया था।

हालांकि 2001 के बाद, जब देश में लोकतांत्रिक सरकार बनी, तब शतरंज जैसे खेलों को फिर से मान्यता मिली और अफगानिस्तान के कई खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेने लगे।

https://regionalreporter.in/lord-narasimhas-appearance-festival-was-celebrated-with-great-pomp/
https://youtu.be/jGaRHT7bFcw?si=qZ9ri50BBfy6_An6
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