उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में ट्रैफिक जाम की समस्या से निपटने के लिए प्रस्तावित 16 किलोमीटर लंबी रिस्पना-बिंदाल एलिवेटेड रोड परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
देहरादून में बढ़ते ट्रैफिक दबाव को कम करने के लिए रिस्पना और बिंदाल नदियों पर 6000 करोड़ रुपये की लागत से फोरलेन एलिवेटेड रोड बनाने की योजना तैयार की गई है।
यह परियोजना शहर के विभिन्न हिस्सों को जोड़ते हुए यातायात की गति को बढ़ाने और जाम की समस्या को हल करने का उद्देश्य रखती है।
रिस्पना नदी के ऊपर बनने वाले एलिवेटेड रोड के लिए 44.6421 और बिंदाल नदी के लिए 43.9151 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया जाना है। इसमें 26 मोहल्लों की भूमि शामिल है. इस भूमि पर 2619 कच्चे और पक्के मकान बने हुए हैं
भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया
रिस्पना नदी पर प्रस्तावित एलिवेटेड रोड के लिए अजबपुर कलां, धर्मपुर, डालनवाला, कंडोली, अधोईवाला, जाखन, धोरणखास, किशनपुर, तरला नागल, ढाकपट्ट जैसे क्षेत्रों में भूमि अधिग्रहण की आवश्यकता होगी। इसमें 399 कच्चे और 771 पक्के मकान प्रभावित होंगे।
वहीं, बिंदाल नदी पर प्रस्तावित 15 किलोमीटर लंबी सड़क के लिए कारगीग्रांट, ब्राह्मणवाला, देहराखास, निरंजनपुर, कांवली, चुक्खूवाला, डोभालवाला, हाथीबड़कला, विजयपुर, जाखन, विजयपुर जोहड़ी, मालसी, प्रीतपुर सौंतर, किशनपुर और ढाकपट्टी जैसे क्षेत्रों में भूमि अधिग्रहण होगा, जिसमें 560 कच्चे और 934 पक्के मकान प्रभावित होंगे।
अवैध निर्माण और पुनर्वास की चुनौती
रिपोर्टों के अनुसार, प्रभावित मकानों में से 70% से अधिक अवैध निर्माण हैं, जो सरकारी भूमि पर बने हैं। इन भवनों के मालिकों के पास कानूनी मालिकाना हक नहीं है। हालांकि, ये लोग परियोजना का विरोध कर रहे हैं और उनका कहना है कि उनके मकानों के ध्वस्तीकरण से पहले उनका पुनर्वास किया जाए या उन्हें बाजार दर पर मुआवजा दिया जाए।
सरकार की योजना और कार्रवाई
उत्तराखंड सरकार ने भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया को सुचारू रूप से पूरा करने के लिए एक एक्शन प्लान तैयार किया है। राजस्व विभाग और लोक निर्माण विभाग (PWD) के संयुक्त सर्वेक्षण के बाद, प्रभावित मकानों की पहचान की जाएगी। इसके बाद, भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। सरकार ने यह भी आश्वासन दिया है कि प्रभावित परिवारों के लिए पुनर्वास और मुआवजा योजनाएं तैयार की जाएंगी।
