एक ठेठ पहाड़ी ग्रामीण को ऐसी हैं स्वास्थ्य सुविधाएं
गंगा असनोड़ा
उत्तराखंड में लचर स्वास्थ्य सेवाओं से जनता कितनी बेहाल है, इसकी सूचनाएं आम रहती हैं। हालांकि स्वास्थ्य मंत्री डा.धन सिंह रावत की घोषणाओं तथा निजी प्रयासों की बदौलत अस्पतालों को बेहतर बुनियादी ढांचा देने के प्रयास हो रहे हैं।
निर्माण से लेकर मशीनों की खरीद तक काफी कुछ बदला-बदला है, लेकिन फिर भी वास्तविक हालात कई बार सिर धुनने से अधिक कुछ नहीं लगते। बूढ़ाकेदार क्षेत्र के देवल गांव निवासी महावीर की कहानी देखकर इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।
बीते 11 जुलाई 2024 को गांव में दिहाड़ी-मजदूरी कर अपने तीन बच्चों का पालन-पोषण कर रहा महावीर उस समय चोटिल हो गया, जब वह घर के ही समीप एक छोटे से नाशपाती के पेड़ से नाशपाती निकाल रहा था, ताकि उन्हें बेचकर अपनी रोटी का जुगाड़ कर सके। इस दुर्घटना में उसके कूल्हे और पैर में चोट आ गई। श्रीनगर के संयुक्त अस्पताल में हड्डी रोग विशेषज्ञ डा.चौबे ने बताया कि उनके कूल्हे का आपरेशन होगा। एक सप्ताह के इंतजार के बाद महावीर के ऑपरेशन का दिन आया।
ऑपरेशन के दौरान टूट गई ऑपरेशन टेबल
महावीर को ऑपरेशन थियेटर में एनेस्थीसिया दे दिया गया। उनके कूल्हे का ऑपरेशन शुरू हो चुका था कि कुछ ही देर में अचानक ऑपरेशन टेबल का एक पाया टूट गया। इसी ऑपरेशन टेबल पर महावीर का ऑपरेशन चल रहा था। टेबल धड़ाम से गिर गया। डॉक्टर और अन्य स्टाफ ने महावीर को संभालने की कोशिश की, लेकिन महावीर फिर भी ऑपरेशन टेबल से लुढ़क गया।
गंभीर स्थिति में कर दिया रेफर
अब महावीर पहले से अधिक गंभीर स्थिति में था। इतना गंभीर कि उसे संयुक्त अस्पताल से बेस अस्पताल के लिए रेफर कर दिया गया। बेस अस्पताल में महावीर को भाग्य से बेस अस्पताल के चर्चित डॉक्टर दयाकृष्ण टम्टा का साथ मिला। डा.दयाकृष्ण टम्टा दिन-रात कभी भी मरीज की जरूरत पर हाजिर रहने वाले डॉक्टर तो हैं ही, मरीजों के सबसे भरोसेमंद डॉक्टर भी। एक बार फिर डा.टम्टा के साथ महावीर का ऑपरेशन तय होता है। सुबह से दोपहर बाद तक के इंतजार के बाद महावीर का ऑपरेशन इसलिए नहीं हो पाता कि बेस अस्पताल के ओटी विभाग में विद्युत सप्लाई बाधित हो जाती है। ऐसे में ऑपरेशन के समय आवश्यक रूप से इस्तेमाल किया जाने वाला एसी नहीं चल पाया। महावीर एक बार फिर ओटी से वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया।
एक अगस्त को हुआ आपरेशन
आखिरकार एक अगस्त को महावीर का सफल ऑपरेशन हो ही गया। 11 जुलाई को हुई दुर्घटना के बाद इमरजेंसी में लाए गए एक मरीज का पूरे 20 दिन के इंतजार के बाद जरूरी ऑपरेशन हो पाया। संयुक्त अस्पताल में हुई घटना में डॉक्टरों का कोई दोष नहीं और ना ही बेस अस्पताल में पहली बार कैंसिल हुए ऑपरेशन में डॉक्टरों की कोई गलती थी, लेकिन तकनीकी स्टाफ इसमें अवश्य दोषी था। बहरहाल! नमक-रोटी में भी खुशी-खुशी अपना और अपने परिवार का जीवन निर्वाह करने वाले महावीर और उनकी पत्नी सुमित्रा इस बाद से प्रसन्न हैं कि आखिर ऑपरेशन हो ही गया।
संयुक्त अस्पताल के एमएस डा.गोविंद पुजारी ने यह स्वीकार किया कि ऑपरेशन के वक्त ऑथोपेडिक ऑपरेशन टेबल का एक पाया टूट गया था। उन्होंने कहा कि टेबल को दूसरे ही दिन वेल्डिंग कर उपयोग में लाया गया है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में संयुक्त अस्पताल में ओटी टेक्नीशियन का पद सृजित नहीं है।