राज्य भर में डेंगू के बढ़ रहे मामले

पौड़ी जिले में 59 लोग डेंगू से संक्रमित
पांच जिलों में अब तक कुल 75 मामले

रीजनल रिपोर्टर ब्यूरो

मानसून की बरसात के बाद डेंगू की संभावना प्रबल हो जाती है। बारिश के बाद कई दिनों तक पानी के जमा होने से लार्वा पनपने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। राज्य में डेंगू के मरीजों की तादाद तेजी से बढ़ रही हैं। राज्य के पांच जिलों में अब तक कुल 75 मामले सामने आए हैं। पौड़ी जिले में सबसे अधिक 59 डेंगू मरीज मिले हैं।

स्वास्थ्य विभाग की ओर से सभी जिलों के सीएमओ को डेंगू की रोकथाम और जनसामान्य के बचाव से संबंधित आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। डेंगू के मामलों की निगरानी स्वास्थ्य महानिदेशालय स्तर पर की जा रही है।

ऋषिकेश में एक डेंगू मरीज की मौत हुई है। मरीज को पहले से कई तरह की बीमारी होने से विभाग मौत के कारणों की वास्तविकता के लिए डेथ ऑडिट करा रहा है।

स्वास्थ्य मंत्री डॉ.धन सिंह रावत ने कहा कि सभी जिलों के सीएमओ को डेंगू रोकथाम के लिए अलर्ट रहने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही स्वास्थ्य महानिदेशालय से भी नियमित रूप से मानीटरिंग करने को कहा गया है। आगामी नवंबर व दिसंबर तक डेंगू संक्रमण के फैलने की आशंका रहती है इसलिए डेंगू संक्रमण की संभावना को देखते हुए एहतियात बरतने की आवश्यकता है।

डेंगू से बचने के लिए क्या करें

  • पानी की टंकियों और कंटेनरों का ढक्कन कसकर बंद करें।
  • मच्छर भगाने वाली क्रीम का प्रयोग करें
  • कूलर, ड्रम टंकी, बाल्टी,नालियों, हैंडपंप,आंगन के आस-पास आदि जगहों पर पानी जमा ना होने दें।
  • सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करें।
  • पूरी बांह के कपड़े पहनें।
  • हर 7 दिन में फूलदानों और गमलों का पानी बदलें।
  • मच्छर भगाने वाली क्रीम या कॉइल का इस्तेमाल करें।
  • जमा पानी पर मिट्टी का तेल या इंजन का जला हुआ तेल डालें और आसपास सफाई रखें।
  • बुखार होने पर सिर्फ पैरामसिटामोल लें, खूब पानी पीएं और डॉक्टर की सलाह लें।

डेंगू बुखार के लक्षण

यदि डेंगू बुखार का मामला हल्का है, तो किशोर और बच्चों को मच्छर के काटने पर कोई लक्षण नहीं दिखते। हालाँकि, वयस्कों में, लक्षण आमतौर पर काटने के 4-5 दिन बाद शुरू होते हैं। डेंगू का पहला लक्षण 104 F का बहुत तेज़ बुखार है, जिसके बाद सिरदर्द, मतली, उल्टी या दाने होते हैं। कई लोग एक या दो हफ़्ते में बुखार से ठीक हो जाते हैं, लेकिन कुछ मामलों में, लक्षण तीव्र हो जाते हैं और यह जानलेवा हो सकता है। यदि आप इन लक्षणों का अनुभव करते हैं, तो यह महत्वपूर्ण है कि आप किसी डायग्नोस्टिक्स सेंटर में अपना परीक्षण करवाएँ ।

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