आदिबदरी, मालसी, थापली और खेती गांव बन रहे मशरूम उत्पादन के मॉडल विलेज

नैनीताल, अल्मोड़ा और पौड़ी के किसान पहुंचे मशरूम उत्पादन के गुर सीखने
किसानों की आय दोगुनी करने में जिला प्रशासन की पहल हो रही सार्थक

जनपद चमोली में गैरसैंण ब्लॉक के आदिबदरी, खेती, मालसी और थापली गांव मशरूम उत्पादन के लिए मॉडल विलेज बन गए है।

राज्य के अन्य जनपदों के किसान भी इससे प्रेरित हो रहे है। सोमवार को नैनीताल, अल्मोडा और पौड़ी जिले के 25 किसानों ने चमोली के गैरसैंण ब्लाक में मशरूम उत्पादक गांवों का एक्सपोजर विजिट कर प्रशिक्षण लिया।

इस दौरान किसानों ने यहां पर मशरूप उत्पादन के लिए नई तकनीकि से बनाए गए टनल और शैड में मशरूम उत्पादन के तौर तरीके सीखें और यहां पर किसानों से मशरूम उत्पादन की जानकारी ली।

मास्टर ट्रेनर आलम सिंह ने बाहर से पहुंचे किसानों को प्रशिक्षण दिया। चमोली में मशरूम खेती का एक्सपोजर विजिट कर बाहरी जनपदों के किसानों ने अतिरिक्त आय स्रोत के रूप में इसे अपनाने में रुचि दिखाई।

पायलट प्रोजेक्ट के तहत किया जा रहा मशरूम उत्पादन का कार्य

जिलाधिकारी संदीप तिवारी की पहल पर कृषि और उद्यान विभाग के माध्यम से गैरसैंण ब्लाक की पूरी बेल्ट को मशरूम उत्पादन से जोड़ा जा रहा है।

प्रशासन द्वारा आदिबदरी, खेती, मालसी, थापली आदि गांवों में किसानों को प्रशिक्षण दिया गया। पायलट प्रोजेक्ट के रूप में मशरूम उत्पादन के लिए इन गांवों में मशरूम टनल और शेड निर्मित कराए गए।

यहां पर उत्पादित आर्गेनिक मशरूम की बजार में मांग बढने के साथ किसानों को अच्छे दाम मिल रहे है। जिससे यहां के किसानों को अतिरिक्त आय मिलने लगी है। बाहरी जनपदों के किसान भी यहां पर मशरूम उत्पादन से प्रेरित हो रहे है और स्वयं इन गांवों का एक्सपोजर विजिट कर कृषको से मशरूम उत्पादन के तौर तरीके सीखकर इसे अपना रहे है।

सेब, कीवी, मशरूम एवं अन्य नगदी फसल उत्पादन

जिलाधिकारी संदीप तिवारी ने कहा कि कृषि और बागवानी को बढ़ावा देकर पहाड़ों से पलायन रोक जा सकता है। जनपद चमोली में किसानों को सेब, कीवी, मशरूम एवं अन्य नगदी फसल उत्पादन से जोड़कर उनकी आजीविका संर्वधन पर फोकस किया जा रहा है। ताकि वन्य जीवों से फसलों को कम नुकसान हो और कृषकों को अच्छी आय मिलने के साथ ही पहाड़ों से पलायन की समस्या दूर की जा सके।

कहा कि वन्य जीवों से खेती की सुरक्षा हेतु कृषि विभाग के माध्यम से 400 हेक्टियर कृषि भूमि पर 2.87 करोड़ लागत से चौन लिंक फेंसिंग भी कराई जा रही है।

जिलाधिकारी कहा कि कृषि और उद्यान विभाग के माध्यम से आदि बद्री और खेती गांव में मशरूम टनल निर्मित करने के साथ ही किसानों को योजना से लाभान्वित किया गया।

मशरूम हार्वेस्टिंग कर यहां पर किसान अच्छी आय अर्जित करने लगे है। इसके अतिरिक्त देवाल ब्लाक के मुंदोली और वांक गांव में 25-25 नाली भूमि पर कीवी उद्यान बनाने के लिए 4 हजार पौध निःशुल्क उपलब्ध की गई है।

दशोली ब्लाक के मैठाणा गांव को कीवी उत्पादन के लिए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाने पर काम चल रहा है। मैठाणा में एक हेक्टेयर भूमि पर 532 कीवी के पौधे लगाए गए है। साथ ही यहां पर कैन्डुल पुष्प की इंटर क्रॉपिंग भी की जा रही है। जिससे कृषकों को दोहरा लाभ मिलेगा।

मुख्य कृषि एवं उद्यान अधिकारी जेपी तिवारी ने बताया कि मशरूम उत्पादन किसानों की आय दोगुनी करने की दिशा में सार्थक सिद्ध हो रही है। कहा कि जनपद में मशरूम उत्पादन के लिए उपयुक्त जलवायु, संसाधन और बाजार उपलब्ध है। अन्य जनपदों के किसान भी मशरूम खेती से प्रेरित होकर इसे अपना रहे है।

किसानों के प्रशिक्षण-सह-एक्सपोजर विजिट के दौरान जिला पंचायत सदस्य विनोद नेगी, ग्राम प्रधान धरम सिंह सहित मशरूम उत्पादन से जुड़े किसान मौजूद थे।  

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