Financial planning: कैसे करें निवेश की शुरुआत

सीताराम बहुगुणा
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सालों की मेहनत के बाद व्यक्ति धन कमाने लायक बनता है। इसके बाद भी जीवन में निरंतर धनोपाजर्न के लिए लगातार मेहनत करनी होती है। दूसरे शब्दों में कहें, तो पैसा कमाना बहुत मेहनत का काम है। खून पसीने की कमाई वाली कहावत इसीलिए बनी होगी।

खून पसीने की कमाई के निवेश की जब बात आती है तो हम उस पर बिलकुल भी मेहनत नहीं करते हैं, और स्कीमों के चक्कर में फंस जाते हैं। ये बिलकुल भी जरूरी नहीं है कि जो स्कीम रावत जी के लिए अच्छी है वो ही नेगी जी के लिए भी अच्छी हो। दो अलग-अलग लोगों की आर्थिक जरूरतें अलग अलग हो सकती हैं। आर्थिक लक्ष्य परिवार की आर्थिक स्थिति, आकार, शौक,नियोक्ता से मिलने वाली सुरक्षा योजनाओं के कारण अलग अलग हो सकते हैं। स्कीम व्यक्ति की आर्थिक जरूरत के हिसाब से अच्छी या खराब होती है उसके अंदर छिपा उद्देश्य कभी खराब नहीं होता है। इसलिए अपनी आर्थिक जरूरतों के हिसाब से आर्थिक लक्ष्य निर्धारित करें। स्कीम ऐसी लें जो आपकी आर्थिक जरूरतों को पूरा कर सके। किसी के चक्कर में आकर या देखा-देखी में स्कीम में निवेश न करें। ऐसा करने से आपके भविष्य की फाइनेंशियल प्लानिंग गड़बड़ा सकती है।

निवेश का उचित विकल्प न चुनने के कारण अक्सर संचित किया गया धन हमारे लक्ष्यों पूर्ति नहीं कर पाता है। फिर हमें लक्ष्य पूर्ति के लिए या तो बैंक से उधार लेना पड़ता है या दूसरी जरूरत के लिए रखे गए धन को छेड़ना पड़ता है। आए दिन मैं इस तरह के उदाहरण देखता हूं। कि लड़की की शादी के लिए धन कम पड़ गया, इस कारण रिटायरमेंट के लिए रखा गया पैसा निकालना पड़ गया। यह सब हमारी गलत फाइनेंशियल प्लानिंग के कारण होता है।

अच्छी फाइनेंशियल प्लानिंग से कम निवेश से भी अपने आर्थिक लक्ष्य हासिल किए जा सकते हैं। और गलत फाइनेंशियल प्लानिंग के कारण ज्यादा निवेश से भी आर्थिक प्राप्त करने में परेशानी आ सकती है।

जब भी आप पैसा कमाना शुरू करें उसी समय अपने भविष्य के आर्थिक लक्ष्य भी निर्धारित करें। और उनके अनुसार अपने निवेश की भी शुरुवात कर दें। कभी भी इस भरोसे में न बैठे रहें कि जब मेरी इनकम बढ़ेगी तब मैं बचत करना शुरू करूंगा। हकीकत में ऐसा होता नहीं है जैसे ही आपकी इनकम बढ़ती है आपके खर्च भी बढ़ने लग जाते हैं, और फिर हम यह सोचने लगते हैं कि जब मेरी इनकम और बढ़ेगी तब मै निवेश करना शुरू करूंगा और यह सिलसिला लगातार चलता रहता है। जब जिम्मेदारियां नजदीक आने लगती है तब हमे एहसास होने लगता है कि मैंने कुछ बचत ही नहीं की है।

निवेश करने के लिए आमदनी बढ़ने का कभी भी इंतजार न करें। यदि आप दस हजार रुपया महीना भी कमा रहे हैं तब भी अपनी आमदनी का 10 से 20% धन अपनी भविष्य की जरूरत के लिए संचित करना शुरू कर दें और जैसे-जैसे इनकम बढ़ती है, बचत को भी बढ़ाना शुरू कर दें।

अपने आर्थिक लक्ष्यों का समय-समय पर मूल्यांकन करते रहें, और उस हिसाब निवेश बांटते रहें। उदाहरण के लिए यदि आज आप बीस हजार रुपए महीना कमाते हैं और अपने रिटायरमेंट के लिए उसमें से दो हजार रुपए प्रति माह बचाते हैं, कुछ साल बाद यदि आपकी इनकम बढ़कर चालीस हजार रुपए महीना हो जाती है तो अपने रिटायरमेंट फंड में निवेश को भी कम से कम दो से तीन गुना बढ़ा दें। यदि आप ऐसा नहीं करते हैं तो रिटायरमेंट के समय आपको जितने धन की आवश्यकता होगी वो लक्ष्य आप पूरा नहीं हो पाओगे। जिससे आपके सामने परेशानी आ सकती है।

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