रीजनल रिपोर्टर ब्यूरो
पिछले दिनों पत्रकार साथी योगेश डिमरी पर जानलेवा हमले के बाद जब हम ऋषिकेश कोतवाली गए तो देखा वहां भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट के इंद्रा नगर ऋषिकेश घर से थोड़ी दूर रहने वाले सुनील पुत्र लाखन जिसे सुनील गंजा कहा जाता है का फोटो लगा हुआ है। मैने उस पोस्टर की फोटो शेयर की अगले दिन सुनील वालिया उर्फ सुनील गंजा गिरफ्तार कर दिया गया तहरीर और मुकदमे में नाम सुनील गंजा लिखा गया।
गंजा हिस्ट्रीशीटर है, दर्जनों बार शराब के अवैध कारोबार में पकड़ा जा चुका है इसके बावजूद सुनील गंजे पर पिछले दस साल से कोई नया मुकदमा नही हुआ। उत्तराखंड राज्य निर्माण के बाद ऐसे बहुत लोग उत्तराखंड में आ गए जिनका उत्तराखंड से कभी कोई सरोकार नहीं रहा राज्य बनते ही उन्हें पता चला कि उत्तराखंड भी कोई प्रदेश है।
देशकाल स्थिति के साथ उन्होंने अपने आप को ढाला गढ़वाली-कुमाऊनी जौनसारी के कुछ शब्द सीख लिए। किसी ने वोट बैंक तैयार किया तो किसी ने उत्तराखंड के नेताओं की कमजोर नज्ब ढूंढकर, उनकी लंगोट का साइज उनकी पेंट का नाप लेकर उनके गिलास का पैमाना नापकर विधायक सांसदों को पकड़ना शुरू किया धीरे-धीरे ऐसे ही अपराधिक प्रवृत्ति के लोग सत्ता और शासन के करीब होते चले गए।
आज की तारीख में जब पत्रकार योगेश डिमरी सिर फुड़वाकर जबड़ा तुड़वाकर टांग तुड़वाकर घर बैठ गया है ऐसे में इस प्रकार के आपराधिक प्रवृति के गंजों की पहचान होनी बेहद जरूरी है जो कहीं पहाड़ी टोपी पहनकर कहीं बिग पहनकर सत्ता और ताकत के करीब जाकर उत्तराखंड को लूट रहे हैं ऐसे तमाम गंजोंं की पहचान करने की जरूरत है जो सिर्फ जमीन खरीदने बेचने, शराब, खनन, स्मार्ट सिटी, सड़क रोपवे के टेंडरों में दिखाई देते है ऐसे लुटेरे गंजो से इस प्रदेश को निश्चित रूप से बचाने की जरूरत है ताकि आने वाले वक्त में कोई और लुटेरा गंजा उत्तराखंड के संसाधनों पर इस प्रकार डाका डालने की हिम्मत न कर सके।
उम्मीद है उत्तराखंड की सरकार उत्तराखंड में पनप रहे सुनील गंजा टोपीबाज़ मॉडल को खत्म कर कड़ा संदेश देगी ताकि कोई और पत्रकार ऐसे गंजे के हाथों मारा न जाए।