आशुतोष नेगी
यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन ने पीएचडी प्रवेश प्रक्रिया में बदलाव कर दिया है, 27 मार्च 2024 को पीएचडी के संदर्भ में सूचना जारी करते हुए यूजीसी ने बताया है, शैक्षणिक सत्र 2024-25 में नेशनल एलिजिबिलिटी टेस्ट को अनिवार्य हो गया है। अब कोई भी छात्र यूजीसी नेट के स्कोर कार्ड के आधार पर किसी भी विश्वविद्यालय मे प्रवेश ले सकेगा। यह नियम इसी वर्ष जून से लागू कर दिया जाएगा। विभिन्न छात्र संगठनों ने यूजीसी के इस कदम को छात्र विरोधी और उच्च शिक्षा के लिए आत्मघाती कदम बताते हुए यूजीसी के इस निर्णय पर कड़ा विरोध जताया है।
यूजीसी का इतिहास
यूजीसी की जड़ें ब्रितानी हुकूमत से जुड़ी हुई हैं, लेकिन 1948 में डाॅ० सर्वपल्ली राधाकृष्णन की अध्यक्ष्ता में यूनिवर्सिटी एजुकेशन कमीशन की नींव रखी गई, इसी आयोग की सिफारिशों से ही यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन 1956 से अस्तित्व में आया। डाॅ० शांति स्वरूप भटनागर ने इसके प्रथम अध्यक्ष के रूप में यूजीसी की कमान संभाली।
यूजीसी नेट के स्कोर के आधार पर मिलेगा पीएचडी में प्रवेश
यूजीसी के नए नियम के अनुसार अब नेशनल एलिजिबिलिटी टेस्ट स्कोर के आधार पर ही विश्वविद्यालयों में पीएचडी में प्रवेश ले पाएंगे। इसी स्कोर के जरिए ही जूनियर रिसर्च फेलोशिप और असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए भी चयन होगा।
नेट परीक्षाफल का बदला स्वरूप
यूजीसी नेट के प्रमाण पत्र मे भी बदलाव किया गया है जिसमें अब प्राप्तांक और प्राप्त प्रतिशत भी देखने को मिलेगा, जिसके आधार पर छात्र पीएचडी में प्रवेश ले सकेगा।
रिजल्ट के बाद के छात्रों को तीन भागों में बांटा जाएगा
कैटगरी 1 : JRF के साथ असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए योग्य।
कैटगरी 2 : PhD और असिस्टेंट प्रोफेसर के योग्य।
कैटगरी 3 : केवल PhD में एडमिशन के लिए योग्य।
कैटगरी 2 और 3 के अंतर्गत आने वाले छात्रों की स्कोर कार्ड की वैधता केवल एक वर्ष की रहेगी।
छात्रों के लिए अब मुश्किलें ही मुश्किलें
इस नियम के आने से पहले विश्वविद्यालय अनुदान अयोग द्वारा आयोजित नेट परीक्षा मे जेआरएफ पास करें वाले छात्रों को इसका लाभ लेने के लिए दो साल का समय दिया जाता था और नेट वाले छात्र कभी भी पीएचडी में प्रवेश कर सकते थे, लेकिन नए यूजीसी कायदे के अनुसार अब कैटेगरी 2 और 3 वाले छात्रों को केवल एक वर्ष का समय पीएचडी में प्रवेश के लिए दिया गया है, एक वर्ष के बाद पीएचडी में प्रवेश करने के लिए उन्हें दुबारा नेट परीक्षा पास करनी होगी।
क्या यूजीसी का अस्तित्व भी हो जायेगा समाप्त ?
भारतीय उच्च शिक्षा आयोग (HECI) भारत में सभी उच्च शिक्षा के लिए एकल छत्र निकाय के रूप में स्थापित किया जाएगा चिकित्सा और कानूनी शिक्षा को अभी इससे दुर रखा गया है। सार्वजनिक और निजी उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए विनियमन, मान्यता और शैक्षणिक मानक सभी नियमों के समान सेंटर द्वारा शासित होंगे।
विश्वविद्यालयों का अनुदान खत्म करने की तैयारी शुरू
भारतीय उच्च शिक्षा आयोग के अंतर्गत हायर एजुकेशन फाइनेंस एजेंसी अब विश्वविद्यालयों को खर्चे के लिए ऋण देगा जिसे ये संस्थान उस ऋण के मूल धन को अपने अंतरिक स्रोतों से चुकायेंगे और उस ऋण के ब्याज को सरकार द्वारा नियमित योजनगत सहायता के माध्यम से चुकाएगी। यह इस ओर इशारा करता है की उच्च शिक्षा में फीस वृद्धि की संभावनाएं बढ़ सकती हैं।
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