अनशनकारियों ने खून से लिखा भारत के राष्ट्रपति को पत्र

उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी में चल रहा अनशन

भैरब दत्त असनोड़ा

उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में आमरण अनशन के पांचवें दिन अनशनकारियों ने राष्ट्रपति को अपने रक्त से ज्ञापन लिखकर भेजा है।

उत्तराखंड विधानसभा प्रकरण पर 11 मार्च को गैरसैण के रामलीला मैदान में आमरण अनशन शुरू हुआ। अनशन के पांचवे दिन आमरण अनशनकारी भुवन सिंह कठायत, कार्तिक उपाध्याय तथा कुसुमलता ने अपनी मांग के संदर्भ में राष्ट्रपति को खून से ज्ञापन लिखकर भेजा है। ज्ञापन की प्रतिलिपि प्रधानमंत्री कार्यालय तथा मुख्यमंत्री कार्यालय को भी प्रेषित की गई है। गौरतलब है कि अनशनकारी कार्तिक किसानपुत्र तथा कुसुमलता सैनिक पुत्री हैं।

उत्तराखंड में चर्चित विधानसभा प्रकरण पर कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद्र अग्रवाल तथा उसी विवाद पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट द्वारा दिए गए विवादित बयान से नाराज उत्तराखंड ने बीते 6 मार्च को ग्रीष्मकालीन गैरसैंण में स्वाभिमान रैली निकालकर मंत्री प्रेमचंद्र अग्रवाल तथा भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की बर्खास्तगी की मांग की थी। इन मांगो पर राज्य सरकार की ओर से कोई प्रतिक्रिया ना होने पर गुस्सा आंदोलनकारियों ने 11 मार्च से आमरण अनशन शुरु किया। 11 मार्च को पूर्व सैनिक भुवन सिंह कठायत, जबकि 13 मार्च से हल्द्वानी निवासी कार्तिक उपाध्याय तथा सल्ट अल्मोड़ा निवाशी कुसुमलता बौड़ाई आमरण अनशन पर बैठे है।


शनिवार 15 मार्च को तीनों अनशनकारियों ने भारत के राष्ट्रपति को अपनी मांगों के संदर्भ में ज्ञापन प्रेषित किया है।
यह ज्ञापन अनशनकारियों के रक्त से लिखा गया है। ज्ञापन में कहा गया है कि उत्तराखंड सरकार के केबिनेट मंत्री प्रेमचंद्र अग्रवाल ने पहाड़ी समाज को विधानसभा में अभद्र शब्दों का प्रयोग कर अपमानित किया है। इससे सम्पूर्ण पहाड़ी समाज आक्रोशित है तथा मंत्री को मंत्री पद से हटाने की मांग कर रहा है। उत्तराखंड सरकार व्यापक जन आक्रोश के बावजूद जनता की मांग को नजरअंदाज कर रही है।


ज्ञापन में यह भी कहा गया है कि अपनी मांगों को लेकर अनशनकारी वीर चंद्र सिंह गढ़वाली की प्रतिमा के समक्ष खून से पत्र लिखकर अपनी मांग आपके समक्ष रख रहे हैं, ताकि राज्य सरकार को उचित दिशा निर्देश मिल सके तथा उत्तराखंडी समाज को न्याय मिल सके।

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