श्रीनगर की महान हस्ती जयदेव सडाना का महाप्रस्थान

गमगीन हुआ श्रीनगर बाज़ार
राजीव विश्नोई

श्रीनगर के अति प्रतिष्ठित कारोबारी LG शो रूम के स्वामी जयदेव सडाना के आकस्मिक निधन से श्रीनगर का व्यापार जगत शोकाकुल और गमगीन है।

77 वर्षीय जयदेव सडाना जी विगत तीन दिन पहले देहरादून में सड़क क्रास करते हुए यमदूत सदृश एक मोटर साइकिल चालक द्वारा टक्कर मारे जाने से गम्भीर रूप से चोटिल हो गए थे।

गंभीर हालत में उन्हें सिनर्जी अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन डॉक्टरों के लाख प्रयास के बावजूद उन्हें बचाया न जा सका।

उनके निधन पर व्यापार सभा अध्यक्ष दिनेश असवाल, श्रीनगर जिला व्यापार सभा के जिलाध्यक्ष वासुदेव कंडारी, रोटरी क्लब अध्यक्ष दिनेश जोशी, लायंस क्लब द्वारा भी उनके आकस्मिक निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है ।

रामलीला में अहम योगदान
जयदेव सडाना लगभग 50 वर्षों तक श्रीनगर रामलीला में पूरी सक्रियता से जुड़े रहे। उन्होंने समिति के पदाधिकारी के रूप में जहां अहम भूमिका निभाई, वहीं बाद के वर्षों में उन्होंने रामलीला के संरक्षक के रूप में निरन्तर मार्गदर्शन किया। कोई भी समिति रही हो, उन्होंने पूरे मनोयोग और समर्पित भाव से सहयोग किया।

धार्मिक आयोजनों में बढ़-चढ़ कर रही भागीदारी

जयदेव सडाना बहुत ही धार्मिक प्रवृत्ति के थे, वे हर धार्मिक कार्य में बड़ी जिम्मेवारी से अपनी भूमिका निर्वाह करते थे, उसमें समय देते और जी-जान से उसमें सहयोग तथा शिरकत करते। भागवत कथाओं में वे बड़ी श्रद्धा भाव से पहुंचते।

व्यापार जगत में रहे सक्रिय जिलाध्यक्ष सहित कई पदों को किया सुशोभित

जयदेव सडाना महज व्यापार ही नहीं करते थे, अपितु व्यापार सभा के प्रतिनिधि के रूप में व्यापारियों की समस्या के लिए भी सदैव मुखर रहते थे।
उन्होंने 5 दशकों तक व्यापार जगत में सक्रिय भूमिका अदा की।

सामाजिक दायित्व निभाने में रहे अग्रणी

जयदेव सडाना एक सामाजिक व्यक्ति थे। वे हरेक के सुख – दुःख में हमराही होते थे। वे हरेक के कार्य में बड़ी जिम्मेदारी से एक परिवारिक सदस्य के रूप में, एक अभिभावक के रूप में उचित सलाह व मार्गदर्शन किया करते व सहयोग किया करते थे।

उनके इस सहयोग भाव को सर्वत्र सराहा जाता।

ऐसी महान शख्सियत के आकस्मिक निधन से श्रीनगर में हर कोई गमगीन है।

रीजनल रिपोर्टर को समझते थे शान

जयदेव सडाना श्रीनगर में संचालित होने वाली हरेक रचनात्मक गतिविधि का स्वागत और प्रोत्साहन करते। रीजनल रिपोर्टर को वे श्रीनगर की शान बताते। कई बार रीजनल रिपोर्टर के दफ्तर में स्वयं पहुंचकर उन्होंने अखबार प्राप्त किया। रीजनल रिपोर्टर परिवार अपने ऐसे शानदार व्यक्तित्व को सादर नमन करते हुए उनके आकस्मिक निधन पर हार्दिक श्रद्धांजलि व्यक्त करता है।

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