डा.अतुल शर्मा
इस सुरंग में संशय है,
इस सुरंग में मज़दूर हैं।
इस सुरंग में चट्टानों की छत है।
अंधेरा भी है और अंधेर भी,
इस सुरंग में इंसान हैं। https://regionalreporter.in/almora-me-matra-panch-divsiy/
सुरंग के बाहर मशीनें हैं।
सुरंग के बाहर कोशिश है।
असफलताएं हैं, उम्मीद भी,
मशीन से बाहर मौसम है।
मशीन से बाहर पेड़ हैं।
ये जो चट्टानों का संसार,
पहले ये पहाड़़ और जंगल था।
पहले यहाँ पगडंडियों के गीत थे।
हर पहाडियों में गांव
और गांव में जीवन।
लोककथाओं से झरने और नदियाँ,
और पहाड़ चिंता में है।
पहाड़ के बारे में जानना बाकी है-
पहाड़ से सीखना ज़रूरी।
बहुत गहरे लोगों की तरह है पहाड़,
पहाड़ के अपने रास्ते हैं।
पहाड़ का अपना स्वभाव है,
उसे पहचाना है।
पहाड़ की अपनी खूबी है,
खूबसूरत पहाडो़ं से सीखने की ज़रूरत हमेशा बनी हुई है।
जंगलों, नदी-नौले से भी,
गांवों से,
मौसम का हाथ थामे पहाड,़
खड़े हैं दोस्त की तरह,
बनी रहने दो-
दोस्ती!
सुरंग,
संशय में है।।