उत्तराखंड के आंदोलन और योगदान देने वाले राष्ट्रपति को याद रहे, लेकिन विवि क्यों भूल गयाः अनिल स्वामी
गंगा असनोड़ा
हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विवि के 11वें दीक्षांत समारोह की मुख्य अतिथि देश की प्रथम व्यक्ति राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु ने अपने भाषण में सर्वप्रथम गढ़वाल विवि के आंदोलनकारियों और आंदोलन को याद किया। उन्होंने गढ़वाल विवि के लिए हुए ऐतिहासिक आंदोलन को याद करते हुए कहा कि गढ़वाल विवि को पहाड़ के लोगों ने लंबे संघर्ष और ऐतिहासिक आंदोलन से बनाया। यह उत्तराखंड के लोगों की विकसित जनचेतना का प्रतीक है।
राज्य के वरिष्ठ आंदोलनकारी एवं विवि आंदोलन में अग्रणी रहे अनिल स्वामी, ओमप्रकाश अग्रवाल, राज्य के मान्यता प्राप्त वरिष्ठ पत्रकार वीरेंद्र पैन्यूली तथा पूर्व पालिकाध्यक्ष कृष्णानंद मैठाणी ने राष्ट्रपति की ओर से आए इस बयान पर उनकी भूरि-भूरि प्रशंसा की है। उन्होंने कहा कि यह विवि आंदोलनकारियों का सौभाग्य है कि इस देश की राष्ट्रपति को विवि आंदोलनकारियों की जानकारी है, लेकिन यह बेहद अफसोसजनक बात है कि विवि प्रशासन ने प्रचंड आंदोलन से बने विवि की 50वीं वर्षगांठ पर संपन्न हुए दीक्षांत समारोह में आंदोलनकारियों को निमंत्रण तक नहीं दिया। उन्होंने कहा कि यह विवि आंदोलनकारियों का अपमान है।
आंदोलनकारियों ने कहा कि विवि के इन गौरवमयी पलों का साक्षी विवि के लिए अपना सर्वस्व दांव पर लगाने के लिए तक तैयार रहे आंदोलनकारियों को होना चाहिए था। अनिल स्वामी ने कहा कि विवि आंदोलनकारियों का विवि ने भले ही अपमान किया हो, लेकिन राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु के बयान को सुनने के बाद विवि प्रशासन को समझना चाहिए कि उन्होंने कितनी बड़ी चूक की है? राष्ट्रपति की यह सलाह कि अपनी जड़ों को कभी मत भूलना, यह विवि प्रशासन को भी याद रखनी चाहिए।