भारती पाण्डे/अल्मोड़ा
अल्मोड़ा शहर में इस वर्ष हुए परिसीमन के बाद निकाय चुनावों से पहले इसे नगर निगम घोषित कर दिया है। इसके अन्तर्गत कई नए वार्डों को शामिल किया गया है। नवम्बर 2024 में अल्मोड़ा के पहले नगर निगम चुनावों को संपन्न कराने की संभावना सामने आ रही है। इस दौरान नगर में महिला शौचालयों की कमी का मुद्दा अब फिर तूल पकड़ चुका है।
अल्मोड़ा व्यापार मण्डल की वर्तमान महिला उपाध्यक्ष जया शाह नागरिक और व्यापारी होने के नाते अल्मोड़ा की प्रतिष्ठित बाजार में एक भी महिला शौचालय ना होने की समस्या को उठा रही हैं। अल्मोड़ा शहर का बाजार जो कि लगभग 3 किलोमीटर में फैला है, वहां महिलाओं के लिए शौचालय की कोई व्यवस्था ही नहीं है।
दरअसल अल्मोड़ा शहर राज्य के सबसे प्राचीनतम शहरों में से एक है जो कि राज्य की सांस्कृतिक राजधानी भी है। यह शहर अपने गौरवशाली इतिहास के लिए भी जाना जाता है। इस शहर को मूल रूप से चंद राजवंश के राजा कल्याण चंद ने वर्ष 1568 में बसाया गया था जो फिर अन्य राजवंशों की राजधानी भी रही। अग्रेजों ने भी इस शहर को अपने केन्द्र में रखा था। लेकिन अपनी पुरानी बनावट के चलते यह शहर वर्तमान परिवेश में नहीं ढ़ल पाया है।
अल्मोड़ा का लाला बाजार हो या बावन सीढ़ी इसकी चर्चा हर कोई करता है और अल्मोड़ा बाज़ार के आकर्षण के चलते महिला हो या पुरुष या कोई पर्यटक, वो उत्तराखण्ड आने पर अल्मोड़ा ज़रूर आना चाहता है परन्तु 3 किलोमीटर तक फैले इस पूरे बाजार में महिलाओं के लिए एक भी शौचालय नहीं है जिसके चलते महिलाओं को अनेक परेशानियां झेलनी पड़ती है।
![](https://regionalreporter.in/wp-content/uploads/2024/09/WhatsApp-Image-2024-09-10-at-13.24.47-1-1024x461.jpeg)
जया शाह ने बताया कि उन्होंने इस मांग को आगे रखते हुए पूर्व के पालिकाध्यक्षों चाहे पुरुष हों या महिला मुलाकात की पर उनकी निराशा चिंताजनक थी। वे लोहे के शेर के पास बने महिला व पुरुष शौचालयों की बात करते हुए कहती है कि वे स्थान किसी भी प्रकार से महिला शौचालय के लिए ना सुरक्षित है और ना ही उपयुक्त। यही हाल पोस्ट ऑफिस के पास बने महिला शौचालय का है जिस पर अक्सर ताला लगा रहता है और गांव से या बाहर से आने वाली महिलाओं को चाभी की जानकारी ना होने के करण समस्या होती है।
इस समस्या को लेकर अल्मोड़ा की सामाजिक कार्यकर्ता व वर्तमान में अल्मोड़ा व्यापार मंडल महिला उपाध्यक्षा जया शाह पिछले 20 वर्षों से इस समस्या के समाधान की मांग कर रही हैं। इस संदर्भ में उन्होंने वर्ष 2018 में अल्मोड़ा की तत्कालीन जिलाधिकारी को ज्ञापन भी दिया जिस पर आदेश जारी किया गया और महिला शौचालय के निर्माण के लिए सर्वेक्षण भी किया गया परन्तु फिर भी निमार्ण कार्य आरंभ नहीं किया गया।
![](https://regionalreporter.in/wp-content/uploads/2024/09/WhatsApp-Image-2024-09-10-at-13.24.49-1024x461.jpeg)
इस संदर्भ में बात करते हुए अधिशासी अधिकारी नगर निगम अल्मोड़ा कहते हैं कि अल्मोड़ा बाजार बहुत पुराना बाजार है जहां अभी तक सीवर लाइन भी नहीं पहुंची है ऐसे में बाजार में महिला शौचालय बनाना चुनौतीपूर्ण कार्य है क्योंकि बाजार में नए निर्माण के लिए ना उचित व्यवस्था है और ना उचित स्थान। उन्होंने आगे बताया कि बाजार का नियोजन चल रहा है साथ ही मल्ला महल के नीचे के.एम.ओ.यू. स्टेशन के पास एक हाईटैक महिला शौचालय (पिंक टॉयलेट) का निर्माण शुरु हो चुका है जिसे संचालित भी महिलाएं ही करेंगी। जिसके लिए स्वयं सहायता समूह का गठन किया जाएगा और इसके लिए प्रशासन कुछ शुल्क तय करेगा और जल्द ही बाजार में शौचालय बनाने के कार्य के लिए सर्वेक्षण किया जाएगा।
![](https://regionalreporter.in/wp-content/uploads/2024/09/Screenshot-318.png)
इस दौरान शहर में गांवों से आई महिलाएं बताती हैं कि वे बाजार में शौचालय ना होने के कारण या तो किसी रिश्तेदार के घर जाती है या फिर घर लौटने का इंतज़ार करती हैं या फिर खुले में शौच करने पर विवश होती है जो कि बेहद असुरक्षित है। अतः उनका मानना भी है कि बाज़ार में कम-से-कम एक शौचालय महिलाओं के लिए बनाया जाए जो कि निशुल्क और सुरक्षित हो।
इतना ही नहीं बाज़ार बने पुरुष शौचालयों की स्थिति भी बदतर है क्योंकि उनमें ना ठीक दरवाजे हैं और ना ही सफाई। दरवाजे ना होने और गंदगी का पर्याय बने पुरुष शौचालयों के कारण बाजार में चलना मुश्किल होता जा रहा है।
जया शाह ने कहा कि प्रशासन से उन्हें कई बार आश्वासन दिया जा चुका है परन्तु कोई संतोषजनक कार्यवाही नहीं हुई है। अतः अपनी इस मांग को लेकर उन्होंने नगर निगम कार्यालय में महिलाओं के साथ सांकेतिक धरना भी दिया था। यदि शीघ्र कार्य शुरु नहीं हुआ तो वे अनशन के लिए बाध्य होंगी।
![](https://regionalreporter.in/wp-content/uploads/2024/09/Screenshot-317.png)
इस मामले में वर्ष 2018 में इस मामले में कार्य करने वाली अल्मोड़ा की सामाजिक कार्यकर्ता नीलिमा भट्ट का कहना है कि महिलाओं के लिए स्वच्छ व सुरक्षित शौचालय का ना होना मानवाधिकारों का हनन है और महिलाओं के गरिमामय जीवन जीने में भी अवरोध पैदा करता है। हमने वर्ष 2018 में तत्कालीन जिलाधिकारी अल्मोड़ा को एक ज्ञापन दिया था साथ ही महिला शौचालयों की स्थिति और उन पर हो रहे अतिक्रमण की ओर भी उनका ध्यान आकृष्ट करवाया था जिस पर तत्कालीन जिलाधिकारी द्वारा अल्मोड़ा मुख्य बाजार में महिला शौचालय बनाने का आश्वासन भी दिया था परन्तु अभी तक इस पर कोई कार्यवाही ना होना महिलाओं के प्रति प्रशासन की उपेक्षा को दर्शाता है जो कि आज के इस माहौल में गंभीर चिंता का विषय है।