मंगलौर और बदरीनाथ उपचुनावों में पार्टियों ने झोंकी ताकत

बदरीनाथ में नवल, मंगलौर में उबैदुर्रहमान ने बनाया त्रिकोण
स्टेट ब्यूरो

उत्तराखंड के दो उपचुनावों के लिए भाजपा तथा कांग्रेस के प्रत्याशियों ने अपने-अपने स्तर पर ताकत झोंक दी है, लेकिन दोनों सीटों पर टिकट बंटवारे में राजनैतिक शुचिता को भाजपा ने अंगूठा दिखाया है। यह चुनाव राजनैतिक मुठभेड़ के लिहाज से जितना दिलचस्प है, पार्टियों में प्रत्याशियों के चुनाव को लेकर उतना ही तिकड़मी। 

बदरीनाथ सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी नवल खाली, तो मंगलौर में बसपा उम्मीदवार उबैदुर्रहमान अंसारी त्रिकोण बना रहे हैं। बात करते हैं मंगलौर उपचुनाव की। मुस्लिम तथा अनुसूचित जाति बहुल वोटरों के इस इलाके में भाजपा के लिए यह अभेद्य दुर्ग की तरह रहा है। 

इस क्षेत्र का यह रिकाॅर्ड है कि यहां कभी भी भाजपा जीत ही नहीं पाई है, लेकिन भाजपा ने इससे पार पाने का अनोखा ही नुस्खा यहां निकाला। इस सीट पर 50 प्रतिशत वोट मुस्लिम, 18 प्रतिशत अनुसूचित जाति तथा 32 प्रतिशत ओबीसी, गुर्जर, सैनी व अन्य वर्गों के वोट हैं। इन वोटों को साधने के लिए भाजपा करतार सिंह भडाना को पैराशूट प्रत्याशी के तौर पर लाई है।

https://youtu.be/0ab7E1Heh_s?si=NjAXwgBA9beT2Lav

बसपा के सरबत करीम अंसारी की मृत्यु से खाली हुई इस सीट पर बसपा ने उनके बेटे उबैदुर्रहमान अंसारी को चुनाव मैदान में उतारा है, जबकि कांग्रेस से काजी निजामुद्दीन चुनाव लड़ रहे हैं। बताया जा रहा है कि करतार सिंह भड़ाना एक बड़े खनन कारोबारी हैं, इस चुनाव में वे जीतें या हारें, व्यावसायिक लाभ अवश्य मिलेगा।

दूसरी ओर, बदरीनाथ विधान सभा उप चुनाव में भाजपा से वही प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं, जिनके दल-बदल के कारण वर्तमान में बदरीनाथ में उपचुनाव हो रहा है। भाजपा के दोनों प्रत्याशियों का चयन करने में आखिर किस राजनैतिक शुचिता का अनुपालन हुआ है?

मंगलौर में बसपा नेता अंसारी की मौत के बाद उनके पुत्र को ही चुनाव मैदान में उतारने से सिम्पैथी वोट उन्हें मिलने की संभावना है, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी को इंडिया गठबंधन का समर्थन मजबूती दे रहा है। ऐसे में करतार सिंह भड़ाना को आयातित प्रत्याशी के तौर पर उतारने के बावजूद भाजपा बहुत मजबूत स्थिति में नहीं दिखती, लेकिन बदरीनाथ सीट पर राजेंद्र भंडारी एक मजबूत नेता हैं।

यहां भी नवल खाली के गांव-गांव पहुंचकर किए जा रहे धांसू चुनाव प्रचार तथा कांग्रेस प्रत्याशी लखपत सिंह बुटोला को गठबंधन का लाभ मिल रहा है। इससे नवल खाली त्रिकोंण बना रहे हैं। बहरहाल 10 जुलाई को होने वाले उपचुनाव के परिणाम जो भी हों, लेकिन यक्ष प्रश्न यह है कि क्या जनता राजनीति में आई विद्रूपता को समझकर वोट करेगी या अपने परंपरागत तरीके से ही वोट डालेगी।

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