सिर्फ 10% होती है फलों की मात्रा
डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों के लेबल पर नहीं दी जाती उचित जानकारी
रीजनल रिपोर्टर ब्यूरो
गर्मी के मौसम में हर कोई जूस पीना पसंद करते हैं। बच्चों से लेकर बुजुर्ग इसे काफी पसंद करते हैं। इसके बोतल और पैकेट में असली फलों के होने का दावा किया जाता है, लेकिन जरूरी नहीं कि इसमें रियल फ्रूट ही हो। अगर आप भी पैक जूस का इस्तेमाल करते हैं, तो सावधान रहिए क्योंकि यह असली फलों की तरह सेहतमंद नहीं है।
आईसीएमआर ने जारी की रिपोर्ट–
स्वास्थ्य पर शोध करने वाली भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद ICMR ने जारी रिपोर्ट में बताया कि असली फलों से बने होने के दावे के साथ बेचे जा रहे फ्रूट जूस में फलों की मात्रा महज 10 फीसदी तक ही रहती है। इसे हेल्दी बताकर गुमराह किया जाता है और कहा जाता है कि ये नेचुरल और न्यूट्रिएंट्स से भरपूर है, लेकिन ये बातें अक्सर झूठ होती हैं।
आईसीएमआर ने पैकेज खाद्य सामग्री के दिए दिए –
आईसीएमआर ने न सिर्फ फलों के जूस को लेकर यह चेतावनी दी बल्कि डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों के लेबल पर लिखी जानकारियां भ्रामक हो सकती हैं। शुगर फ्री बताए जाने वाले खाद्य पदाथों में वसा की अधिक मात्रा हो सकती है। इस तरह के दावे ध्यान खींचने के लिए किए जाते हैं।
पैकेजिंग लेबल से ठीक से पढ़े–
आईसीएमआर का कहना है कि उपभोक्ताओं को पैकिंग पर छपी जानकारी ध्यान से पढ़ना चाहिए। किसी उत्पाद में किसी पोषक तत्व के होने का दावा किया गया है, तो यह जरूर देखें कि एक सर्विंग में कितना पोषक तत्व मिल रहा है।
निर्माता कंपनियां थोड़ी मात्रा में केवल एक-दो प्राकृतिक अवयवों के नाम पर उत्पाद को प्राकृतिक बताती हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, आम गलतफहमी है कि पोषण संबंधी तथ्य व पोषक तत्व संबंधी दावे एक ही होते हैं। पर ऐसा नहीं है।
उत्पाद में पोषक तत्व का दावा अलग तथ्य है। मगर, पोषण संबंधी तथ्य यह है कि उसके इस्तेमाल से शरीर को कितना पोषक तत्व मिलता है।