समाजसेवी श्रीमती सुशीला बहुगुणा का निधन Social worker Smt. Susheela Bahuguna passes away

रमेश पहाड़ी
प्रखर समाजसेवी और अपर गढ़वाल की प्रथम महिला सम्पादक श्रीमती सुशीला बहुगुणा का 97 वर्ष की सुदीर्घ आयु में देहावसान हो गया। कुछ समय दिल्ली में अस्वस्थ रहने के बाद उन्होंने अपनी 7 दशक पुरानी कर्मस्थली नन्दप्रयाग में कल 21 मार्च 2024 को सुबह 8.15 बजे अन्तिम साँस ली। दोपहर को बड़ी संख्या में उपस्थित परिजनों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और विभिन्न क्षेत्रों से पहुँचे लोगों की उपस्थिति में अलकनंदा और नंदाकिनी के पावन संगम पर पुत्र समीर बहुगुणा ने उनकी चिता को मुखाग्नि दी. इसी के साथ सामाजिक सेवा के एक युग को उपस्थित लोगों ने नम आँखों से विदाई दी।

https://regionalreporter.in/ho-ho-holak-re-story/
16 मार्च 1927 को थराली के0 निकटवर्ती गांव देवलग्वाड़ के प्रतिष्ठित उच्च ब्राह्मण परिवार में जन्मीं सुशीला जी की शिक्षा लैंसडौन में हुई और विवाह प्रख्यात स्वतंत्रता सेनानी तथा पत्रकार राम प्रसाद बहुगुणा जी से सम्पन्न हुआ. राष्ट्रीयता की भावना से परिपूर्ण गढ़केसरी अनसूया प्रसाद बहुगुणा के परिवारी पति-पत्नी चाहते तो अपने पारम्परिक व्यवसाय में जुट कर सुख-समृद्धि का जीवन बिताते लेकिन रामप्रसाद जी देश की आजादी की लड़ाई और समाजसेवा में स्वयं को समर्पित कर चुके थे तो सुशीला देवी जी ने भी परिवार की जिम्मेदारियों को सम्हालते हुए उसी में स्वयं को समर्पित कर दिया। पति के इस मिशन में साथ निबाहते उन्होंने सामाजिक सरोकारों के लिये जूझने को अपनी नियति बना लिया। घोर अभावों के बीच भी वे समाजसेवियों को चाय व भोजन की व्यवस्था में जुटी रहतीं। इसके साथ ही सामाजिक-आर्थिक क्षेत्र में महिलाएं सशक्त भूमिकाओं में उतरें, इसके लिए भी वे आजीवन प्रयासरत रहीं।


उप्र सरकार द्वारा संचालित समाज कल्याण विस्तार परियोजना की अध्यक्ष के रूप में उन्होंने अन्तराल के क्षेत्रों में अपनी पहुँच बनाई और सरकारी योजनाओं को अधिकाधिक जरूरतमंदों तक पहुँचाने का मार्ग प्रशस्त किया।
सुशीला देवी जी ने जिला परिषद और क्षेत्र विकास समिति की सदस्य के रूप में आम ग्रामीणों तथा महिलाओं व बच्चों की समस्याओं के लिए आवाज उठाई। 1990 में रामप्रसाद बहुगुणा जी के निधन के बाद उन्होंने देवभूमि के संपादन की जिम्मेदारी भी निभाई। उनके इन बहुविध प्रयासों का ही परिणाम रहा कि अपनी घर-गृहस्थी तक सिमटी महिलाएं बड़ी संख्या में सामाजिक सेवा के क्षेत्र में सक्रिय हुईं।
यह सिलसिला लगातर आगे बढ़े, यही उनको सच्ची श्रद्धांजलि होगी.


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: