तमिलनाडु जेनरेशन एंड डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी (TANGEDCO) ने स्मार्ट बिजली मीटर लगाने के लिए अपना ग्लोबल टेंडर रद्द कर दिया है। अडानी समूह ने चार पैकेजों में से एक के लिए सबसे कम बोली लगाई थी।
यह निर्णय अरापोर इयाक्कम (अरापोर आंदोलन) द्वारा लगातार आरोप लगाए जाने के बाद आया है कि निविदा में अनियमितताएं थीं और समूह को अनुचित लाभ देने की कोशिश की जा रही थी।
उसने स्पष्ट किया है कि उसका अडानी समूह के साथ कोई “व्यावसायिक संबंध” नहीं है। टैंजेडको तमिलनाडु सरकार की कंपनी है।
स्मार्ट मीटर लगाने की योजना सबसे पहले पिछली AIADMK सरकार द्वारा की गई थी, जिसे अगस्त 2023 में वर्तमान DMK सरकार द्वारा लागू किए जाने की पहल की गई थी। बोली में अडानी समूह ने सबसे कम बोली लगाई, जिसके बाद TNEB ने अडानी समूह को टेंडर दिया।
हालांकि, अरापोर इयाक्कम, एक ऐसा समूह जो सरकारी भ्रष्टाचार को उजागर करने में सक्रिय रूप से शामिल है, ने तुरंत टेंडर में गड़बड़ होने का आरोप लगाया। उन्होंने “सबूत” भी प्रकाशित किए, जिसके बाद सार्वजनिक जांच शुरू कर दी थी।
इस बीच, पट्टाली मक्कल काची (PMK) पार्टी ने भी अरापोर के आरोपों का समर्थन किया। PMK ने भी आरोप लगाया कि TNEB अडानी समूह से उच्च कीमतों पर स्मार्ट रीडिंग मीटर खरीदने की कोशिश कर रहा है।
यह खबर TNEB को लेकर एक लंबी विवादित लड़ाई के बाद मिली है। AIADMK सरकार के दौरान, उप-स्टेशनों के निजी रखरखाव के लिए एक टेंडर जारी की गई थी।
उस समय, विपक्षी दल DMK ने विरोध प्रदर्शन किए, जिसमें तर्क दिया गया कि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को निजी हाथों में नहीं सौंपा जाना चाहिए।
बता दें कि, वर्तमान में तमिलनाडु 30 मिलियन से ज़्यादा स्मार्ट मीटर्स की स्वीकृत योजना के साथ पुनरोद्धार वितरण क्षेत्र योजना (RDSS) में आगे रहा है।
स्मार्ट मीटर्स लगाए जाने से राज्य के कुल तकनीकी और वाणिज्यिक घाटे में 16% से 10% तक की कमी आ सकती है। साथ ही, बिलिंग दक्षता में बढ़ोतरी होगी और ज़्यादा प्रभावी टैरिफ योजना बनाने में भी मदद मिलेगी।
अमेरिका में अडानी ग्रुप पर रिश्वत देने के लगे आरोपों के लगभग एक महीने बाद एमके स्टालिन सरकार ने ये कदम उठाया है।हालांकि, अडानी समूह ने इन आरोपों को निराधार बताते हुए खारिज कर दिया है। लेकिन इस घटनाक्रम के बाद विपक्षी INDIA ब्लॉक ने अडानी समूह पर अपने हमले तेज़ कर दिए हैं।
DMK भी INDIA गठबंधन का एक प्रमुख घटक है। ऐसे में राजनीतिक हलकों में टेंडर रद्द किया जाना अडानी समूह पर लगे आरोपों के कारण भी माना जा रहा है।