रीजनल रिपोर्टर ब्यूरो
पिछले दिसंबर में संसद में पारित भारत के तीन नए आपराधिक कानून – भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम एक जुलाई से प्रभावी हो गए हैं। नया कानून आपराधिक सुधार प्रणाली में कई बदलाव लाता है और सभी को त्वरित न्याय प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित करता है।
1860 की भारतीय दंड संहिता को भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), 1973 की दंड प्रक्रिया संहिता को भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 को भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) में बदल दिया गया है।
इन कानूनों की प्रतिस्थापना हेतु 11 अगस्त 2023 को गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में पेश किया था, जिसके बाद उन्हें समीक्षा के लिए भाजपा सांसद बृज लाल की अध्यक्षता वाली 31 सदस्यीय संसदीय स्थायी समिति को भेज दिया गया था। संशोधित विधेयक को 12 दिसंबर को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा लोकसभा में पेश किए गया और 25 दिसंबर को राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद अस्तित्व में आ गए, जबकि 01 जुलाई 2024 से सम्पूर्ण देश में यही कानून लागू हो गए हैं।प्राप्त हुई।
भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 ने भारतीय दंड संहिता 1860 को प्रतिस्थापित किया, जिसमें 358 धाराओं (IPC की 511) को शामिल किया गया, IPC के अधिकांश प्रावधानों को बनाए रखा गया, नए अपराधों को पेश किया गया, न्यायालय द्वारा बाधित अपराधों को समाप्त किया गया और विभिन्न अपराधों के लिये दंड को बढ़ाया गया।
भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) 2023 भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 में 170 धाराएँ हैं, जिसमें 24 को संशोधित किया गया है, दो को जोड़ा गया है और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 की 167 धाराओं में से छह को निरस्त किया गया है।
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) 2023 ने CrPC 1973 को प्रतिस्थापित किया है और इसमें 531 धाराएँ हैं जिनमें 177 धाराएँ संशोधित की गई, 9 नई धाराएँ जोड़ी गई और 14 धाराएँ निरस्त की गई हैं।
न आईपीसी रही न चार सौ बीसी
प्रीमियम आईपीसी की धारा 302 जिसका इस्तेमाल हत्या के लिए किया जाता था, उसे बदलकर BNS की धारा 103 कर दिया गया। आईपीसी की धारा 379 का इस्तेमाल लंबे समय तक चोरी के लिए किया जाता था। अब उस प्रावधान को भी खत्म करके BNS की धारा 303 को बदल दिया गया है। इसी तरह आईपीसी की धारा 363 (अपहरण) को बदलकर BNS की धारा 137 कर दिया गया है।
भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 420 से आया है, जिसमें धोखाधड़ी और इस तरह बेईमानी से संपत्ति की डिलीवरी के अपराध को संदर्भित किया गया था और इसके लिए अधिकतम सात साल की सजा का प्रावधान था। अब भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) 2023 द्वारा प्रतिस्थापित, धारा 420 को धारा 318 द्वारा प्रतिस्थापित किया जाएगा।
केंद्रीय अपराध शाखा के एक जांच अधिकारी ने कहा, इसका पालन करना थोड़ा भ्रमित करने वाला है। तीन आपराधिक कानूनों के प्रावधानों से खुद को परिचित करने में कुछ समय लगेगा।