श्रीनगर में मूल निवास भू कानून स्वाभिमान महारैली सफल


सड़क पर उतरकर हजारों लोगों ने भरी हुंकार

रीजनल रिपोर्टर ब्यूरो

मूल निवास भूकानून समन्वय संघर्ष समिति की ओर से आयोजित मूल निवास भू कानून स्वाभिमान महारैली का श्रीनगर में आयोजन सफल रहा। कांग्रेस, उक्रांद, विभिन्न कम्युनिस्ट पार्टियों व अन्य क्षेत्रीय राजनैतिक-सामाजिक दलों के सदस्यों ने इसमें प्रतिभाग किया।


रामलीला मैदान में सभा के साथ शुरू हुई मूल निवास, भू कानून स्वाभिमान महारैली गणेश बाजार से होते हुए पीपलचौरी में अंकिता को न्याय दिलाने के लिए धरनारत अंकिता के माता-पिता के समक्ष से गुजरते हुए राष्ट्रीय राजमार्ग 07 पर पहुंची। यहां पहुंचते-पहुंचते हजारों लोग महारैली के साथ जुड़ गए। कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल तथा केदारनाथ के पूर्व विधायक मनोज रावत शामिल रहे, श्रीनगर की पूर्व पालिकाध्यक्ष पूनम तिवाड़ी, तो उक्रांद के प्रदेश अध्यक्ष पूरन सिंह कठैत, पूर्व अध्यक्ष काशी सिंह ऐरी, एपी जुयाल आदि भी शामिल रहे।


राष्ट्रीय राजमार्ग पर अंकिता को न्याय दो, हमें चाहिए- मूल निवास, हमें चाहिए- भू काननू, हम अपना अधिकार मांगते, नहीं किसी से भीख मांगते के नारों के साथ महारैली में शामिल लोग सतीश मार्ग होते हुए, सब्जी मंडी से गोला बाजार पहुंचे, जहां आंदोलनकारियों ने एक जनसभा की। इस मौके पर कांग्रेस मे पूर्व अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने कहा कि जिस बात पर एक आवेदन पर सरकार को मान लेना चाहिए था, उसमें इतने बड़े आंदोलन के बावजूद भी सरकार के कानों पर जूं भी नहीं रेंग रही है। उन्होंने कहा कि सरकार अतीत की गल्तियां कहकर पल्ला झाड़ रही है, जबकि यदि अतीत में गलती हुई है, तो सरकार को अतीत में हुई गलतियों को सुधार लेना चाहिए।


पूर्व विधायक केदारनाथ मनोज रावत ने कहा कि 2018 में जो कुठाराघात त्रिवेंद्र सरकार ने किया था, उसे अब युवा समझ गए हैं। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में अमिताभ बच्चन जैसा व्यक्ति कृषकों की जमीन नहीं खरीद सकता, लेकिन यहां उत्तराखंड में कोई भी उद्योग के नाम पर नीति, माणा और मिलम जैसे उच्च हिमालयी क्षेत्रों में भी जमीन खरीद सकता है। उत्तराखंड को एक मजबूत भूकानून की जरूरत है।


उक्रांद के अध्यक्ष पूरन सिंह कठैत एवं पूर्व अध्यक्ष काशी सिंह ऐरी ने भी युवाओं के इस आंदोलन में सक्रियता पर खुशी जताई। श्रीनगर की पूर्व पालिकाध्यक्ष पूनम तिवाड़ी ने कहा कि जल, जंगल और जमीन हमारे हैं, लेकिन हमारी सरकारें बिचौलियों तथा उद्योगपतियों के हवाले इस सब को कर देना चाहती हैं। उन्होंने कहा कि मूल निवास तथा भूकानून से जुड़ी यह लड़ाई हमारे स्वाभिमान से जुड़ी लड़ाई है।


छात्र संघ अध्यक्ष सुधांशु थपलियाल तथा महासचिव आंचल राणा ने गढ़वाली बोली में ही अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में युवा रोजगार के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं। विशेष रूप से सरकार की ऊलझाउ व्यवस्थाओं तथा नीतियों ने उन्हें रोजगार के नाम पर दलालों और ठेकेदारों के पास जाने के लिए मजबूर कर दिया है। हाकम सिंह जैसे दलालों के लिए इसी व्यवस्था से रास्ते निकल रहे हैं। इस अवसर पर एडवोकेट चंद्रभानु तिवाड़ी, समन्वय समिति के संयोजक मोहित डिमरी, लुशुन टोडरियाल, प्रांजल नौडियाल, अंकित उछोली, रेशमा पंवार, आशीष नेगी, बीना चौधरी, अनिल स्वामी, प्रदीप तिवाड़ी समेत बड़ी संख्या में वक्ताओं ने संबोधित किया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: