रीजनल रिपोर्टर ब्यूरो
उत्तराखण्ड में तेजी से बढ़ती वनाग्नि की घटनाओं को देखते हुऐ गुरूवार यानि की आज हेमवती नन्दन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विवि के हिमालयी जलीय जैवविविधता विभाग ने विभागाध्यक्ष डा. जसपाल सिंह चौहान के नेतृत्व में बडियारगढ़ के दिगोली गांव व आस-पास के क्षेत्रों में वनाग्नि जागरूकता अभियान चलाया।
डा. चौहान ने ग्रामीणों को बताया की इस प्रकार के अभियान व कार्यक्रम की पर्यावरण एवं वन संपदा बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका है साथ ही उन्होंने कहा कि स्थानीय लोगों में जागरूकता ही वनाग्नि से बचाव का एक मात्र विकल्प है। यह अभियान पूरे सप्ताह तक अलग-अलग गांव में चलाया जाएगा।
विभाग के सहायक आचार्य डा. कौशल कुमार ने ग्रामीणों को संबोधित करते हुए वन्य जीव व पेड़ पौधों के साथ सामंजस्य स्थापित करने और सद्भावना रखने का संदेश दिया।
DACE में शिक्षक डा. आशीष बहुगुणा ने भी ग्राम प्रधान व ग्रामीणों से संवाद कर बताया की चीड़ के जंगल वनाग्नि हेतु प्रवण हैं।
साथ ही उन्होंने बताया की चीड़ के पत्ते का किस प्रकार से एक ऊर्जा के विकल्प के रूप में इस्तेमाल कर वनाग्नि की घटनाओं को सीमित किया जा सकता है।
विभाग के छात्र-छात्राओं ने ग्रामीणों से वार्तालाप कर अमूल्य वन संपदा का महत्व बताते हुए उनको वनाग्नि के प्रकार और रोकथाम हेतु जागरूक किया साथ ही गांव व आस-पास के क्षेत्र में आपातकालीन संपर्क सूत्र के पोस्टर लगाए।
अभियान में सहयोग करते हुए ग्राम प्रधान श्री सतीश सेमवाल जी ने बताया की गांव से भारी आबादी का पलायन होने के कारण वनों में लकड़ी व झाड़ियों की मात्रा बढ़ गई है जो की वनाग्नि में ईधन के रूप में कार्य करती है।
साथ ही उन्होंने बताया की गांव में केवल बुजुर्गों के होने की वजह से जंगलों की साफ सफाई करने हेतु लोग नहीं मिल पाते जिसके परिणाम स्वरूप वनाग्नि की घटनाएं निरंतर बढ़ती जा रही हैं। अभियान में रामानंद सेमवाल, रोशनी देवी, कांता देवी, रघुनंदन प्रसाद, उमेश सिंह, आशीष सेमवाल, लक्ष्मी देवी, ललिता देवी आदि ग्रामीण भी शामिल रहे।]