“एक फरवरी की शाम” “A February Evening”

https://regionalreporter.in/ankita-murder-case-ankita-ke-mata-pita/ आज एक फरवरी है। इसी दिन हमारे कुछ वैज्ञानिक आकाश में ही बिखर गए थे।उन सभी के साथ-साथभारतीय मूल की कल्पना चावला भी शामिल थी। उनके बलिदान को समर्पित उमा घिल्डियाल की एक कविता –

“एक फरवरी की शाम”

एक फरवरी की शाम,
उतर रही धरती पर अविराम।
आकाश पर छाने लगा था अँधेरा,
धरा पर उगा बिजलियों का सवेरा।
सभी थे लौटते अपने-अपने घर,
कुछ पहुँचे, कुछ थे अभी सड़क पर।
उसी समय हमारे कुछ हीरो,
जीवन के दुःख जिनके लिए थे जीरो।
लौट रहे थे कोलम्बिया शटल पर,
अंतरिक्ष की चादर को चीर कर।
सुनहरी धरती पर उतरने वाले थे,
अपने अपनों से मिलने वाले थे।
नई-नई जानकारियाँ लेकर,
ग्रह-नक्षत्रों को निकट से निहार कर।
मानवता को नए सन्देश देने वाले थे,
विज्ञान के नव ज्ञान-द्वार खुलने वाले थे।
धरती बिछी थी स्वागत में उनके,
अम्बर भी सज्जित था सिर पर उनके।
धरा की दो बेटी और पाँच बेटे,
जिनके साथ थी सद्भावनाओं की भेंटें।
ठीक सात बज कर पैंतालिस मिनट पर,
जब थे सब केवल पैंसठ किमी ऊपर,
अचानक सब कुछ बीत गया,
खुशियों का आँचल रीत गया।
झर गए उसमें से सात फूल,
चुभ गए सीने पर मृत्यु के शूल।
बिखर गए गगन में उनके शरीर,
बन गए इतिहास पर लिखी तहरीर।
पीढ़ियाँ आएँगी,इतिहास रचाएँगी,
गगन में नए आयाम रचाएँगी।
पर रहोगे तुम सदा उनके दिल में,
रहता है जैसे हंस सरोवर के जल में।
जब पीढ़ियाँ खोलेंगी अन्तरिक्ष का खजाना,
हर बार पूर्ण होगा इन शहीदों का सपना।

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