रीजनल रिपोर्टर ब्यूरो
उत्तराखंड के चमोली जिले की शिक्षिका कुसुमलता गडिया को 5 सितंबर शिक्षक दिवस पर विज्ञान भवन नई दिल्ली में राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार 2024 से पुरस्कृत किया जाएगा।
कुसुमलता पोखरी ब्लॉक के राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय की शिक्षिका है। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की ओर से पुरस्कार के लिए चयनित शिक्षकों के नाम की घोषणा की गई है। यह पुरस्कार देशभर के उन शिक्षकों को दिया जाता है। जिसने अपनी प्रतिबद्धता और परिश्रम से न केवल विद्यालयी शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार किया, बल्कि अपने छात्रों के जीवन को भी समृद्ध बनाया है।
मूल रूप से थराली (चमोली) के जोलाकोट की रहने वाली कुसुमलता वर्ष 1999 से अध्यापन कर रही हैं। अब तक की सेवा उन्होंने दुर्गम, अति दुर्गम क्षेत्रों में ही दी है। वीणा में उनकी तैनाती वर्ष 2015 में हुई। कुसुमलता पोखरी विकासखंड के दूरस्थ क्षेत्र में स्थित इस विद्यालय में जब आईं, तब यहां महज सात बच्चे पढ़ने आते थे।
इससे विद्यालय पर बंदी की तलवार लटकी थी। ऐसे में कुसुमलता ने घर-घर जाकर अभिभावकों से बच्चों को विद्यालय भेजने का आग्रह करना शुरू किया। उनका प्रयास रंग लाया और विद्यालय में छात्र संख्या बढ़ने लगी।
शिक्षिका कुसुमलता गडिया का इससे पहले शैलेश मटियानी राज्य शैक्षिक पुरस्कार 2023 के लिए भी हुआ था। उन्होंने विद्यालय में लर्निंग कॉर्नर, टीएलएम, ऑनलाइन क्लास, पेंटिंग, वाल पेंटिंग तथा पोस्टर अभियान के जरिए छात्र-छात्राओं को गुणवत्ता पूरक शिक्षा से जोड़ा है।
उनका मानना है कि रुचिकर शिक्षा से ही छात्र-छात्राओं को बेहतर शिक्षा दी जा सके। उन्होंने बताया, समय-समय पर विद्यालय में अन्य शैक्षणिक और सांस्कृतिक गतिविधियां भी संचालित की जाती है।
इसके पीछे उद्देश्य है कि छात्रों को एक बेहतर मंच मिले और वे खुलकर सामने आए, जिससे उन्हें खुद पर विश्वास और भरोसा हो सकें। उन्होंने स्कूल की दीवार पर क्यूआर कोड के जरिए भी शिक्षा का मॉडल दिया है।
अधिकतर विद्यालयों की दीवारों पर बने चित्र मात्र चित्र ही बनकर रह जाते और उससे सम्बन्धित जानकारियों से छात्र अनभिज्ञ रह जाते हैं या बहुत कम जानकारी उस चित्र से सम्बन्धित छात्रों के पास होती है। लेकिन अब विद्यालय की प्रत्येक शिक्षण/सीखने की सामग्री (TLM) और चित्रों पर क्यू आर कोड लगाया गया है जिसे गुगल लेंस से स्कैन करते ही उस चित्र से सम्बन्धित विडियो हमारे मोबाइल पर शुरू हो जायेगी।
शिक्षिका कुसुमलता ने कहा कि मेरे लिए मेरे परिवार से बढ़कर मेरा विद्यालय है। आज का दौर डिजिटल शिक्षा का दोर है, इसलिए चुनौती बहुत बढ़ गई है। हमें हर रोज अपडेट होना पड़ेगा। मुझे खुशी है कि मुझे हर स्तर पर सहयोग मिला।