एयरड्राॅप ने किया पहला स्वदेशी पोर्टेबल अस्पताल ‘BHISM’

एक्स-रे से लेकर वेंटिलेटर तक सारी सुविधा उपलब्ध
रीजनल रिपोर्टर ब्यूरो

भारतीय वायु सेना ने मंगलवार को इतिहास रच दिया है। आगरा के मलपुरा ड्राॅपिंग जोन में संयुक्त टीम ने बैटल फील्ड हेल्थ इंफाॅर्मेशन सिस्टम फाॅर मेडिकल सर्विसेज (BHISM) पोर्टेबल अस्पताल का सफल परीक्षण किया। आपदा हो या फिर युद्ध अब किसी भी स्थिति में लोगों को त्वरित उपचार कराया जाएगा।

BHISM प्रोजेक्ट को स्वास्थ्य, रक्षा मंत्रालय और राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की टीम ने संयुक्त रूप से विकसित किया है। यह वाटरप्रूफ और बेहद हल्का है। इसमें एक साथ 200 लोगों का इलाज किया जा सकता है। यह पहला स्वदेशी पोर्टेबल अस्पताल है। इसे ड्रोन की मदद से कहीं ले भी जा सकते हैं।

BHISM प्रोजेक्ट को रक्षा, स्वास्थ्य मंत्रालय और राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की टीम ने संयुक्त रूप से विकसित किया है। विमान से 1500 फीट से अधिक की दूरी से पोर्टेबल अस्पताल को दो पैराशूट के समूह से जमीन पर उतारा गया।

क्यूबनुमा अस्पताल महज 12 मिनट में बनकर तैयार हो गया। यह वाटरप्रूफ और बेहद हल्का है। इसमें एक साथ 200 लोगों का इलाज किया जा सकता है। यह पहला स्वदेशी पोर्टेबल अस्पताल है। इसे ड्रोन की मदद से कहीं ले भी जा सकते है।

स्वदेशी पोर्टेबल अस्पताल ‘BHISM’

ऑपरेशन थियेटर, वेंटिलेटर के साथ अन्य सुविधाएं उपलब्ध
BHISM पोर्टेबल अस्पताल 36 क्यूब्स में तैयार किया गया है। इसे बनाने में 1.50 करोड़ रुपये की लागत आई है। इसे एक्स-रे, ऑपरेशन थियेटर, खून की जांच, वेंटिलेटर की सुविधा के साथ महज 8 मिनट में शुरू किया जा सकता है।

इसमें जलन, गोली लगने, सिर, रीढ़ की हड्डी और चोटें, फ्रैक्चर और प्रमुख रक्तस्राव सहित चोटों के इलाज की सुविधा रहेगी। इन सभी बाॅक्स पर क्यूआर कोड लगाया गया है, इन पर एक्सपाइरी डेट दी गई है। आपदा के दौरान आम लोग भी इन बाॅक्स को खोलकर जरूरी दवाएं और उपचार ले सकते हैं।

होते हैं रीयूजेबल
भीष्म में मास्टर क्यूब केज के 2 सेट होते हैं। यह क्यूब बहुत मजबूत होने के साथ हल्के होते हैं। प्रत्येक केज में 36 मिनी क्यूब होते हैं। इस अस्पताल को कई बार प्रयोग में लाया जा सकता है। इसकी पैकिंग ऐसी की जाती है कि भूमि पर गिरने के बाद खुलने में कोई दिक्कत न आए।

अयोध्या और G -20 में भी था BHISM
अयोध्या में श्रीराम लला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में भी भीष्म प्रोजेक्ट की यूनिट को लगाया गया था। इसके साथ डॉक्टरों की टीम को भी तैनात किया गया था। सितंबर 2023 में दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित G-20 शिखर सम्मेलन के दौरान भी इसका प्रदर्शन किया गया था।

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