“हम सामंती युग में नहीं हैं : सुप्रीम कोर्ट

मुख्यमंत्री को सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फटकार
कई वरिष्ठ अधिकारियों ने नियुक्ति पर जताई आपत्ति
विवाद के बाद राहुल डायरेक्टर पद से हुए बर्खास्त
रीजनल रिपोर्टर ब्यूरो

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को राजाजी टाइगर रिजर्व के निदेशक पद पर विवादास्पद नियुक्ति के लिए फटकार लगाई है।

जस्टिस बीआर गवई, पीके मिश्रा और केवी विश्वनाथन की बेंच ने कहा कि सरकारों के प्रमुखों से “पुराने दिनों के राजा” होने की उम्मीद नहीं की जा सकती और “हम सामंती युग में नहीं हैं।” राज्य सरकार ने बताया कि यह नियुक्ति 3 सितंबर को रद्द कर दी गई थी।

विस्तार

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार, 4 सितंबर को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को राहुल को राजाजी टाइगर रिजर्व का निदेशक बनाने पर फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा कि, सरकार के मुखिया को पुराने जमाने के राजाओं की तरह काम नहीं करना चाहिए और अब हम “सामंती युग” में नहीं रहते हैं। बचाव में राज्य सरकार ने न्यायमूर्ति बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ को बताया कि विवादास्पद नियुक्ति 3 सितंबर को रद्द कर दी गई थी।

न्यायाधीशों ने कहा, “इस देश में सार्वजनिक विश्वास सिद्धांत जैसा कुछ है। कार्यपालिका के प्रमुखों से पुराने दिनों के राजा होने की उम्मीद नहीं की जा सकती कि वे जो भी कहेंगे, वही करेंगे… हम सामंती युग में नहीं हैं… क्या सिर्फ इसलिए कि वह मुख्यमंत्री हैं, वह कुछ कर सकते हैं?”

कोर्ट में सुनवाई के दौरान पीठ ने इस बात पर भी जोर दिया कि उप सचिव, प्रमुख सचिव और राज्य के वन मंत्री समेत विभिन्न अधिकारियों ने आईएफएस अधिकारी राहुल को राजाजी टाइगर रिजर्व के निदेशक के रूप में नियुक्त करने के खिलाफ लगातार सलाह दी थी।

पीठ ने यह भी सवाल किया कि मुख्यमंत्री को अधिकारी से “विशेष लगाव” क्यों है, क्योंकि उनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही लंबित है। अदालत ने कहा कि अगर आप अधिकारी, उप सचिव, प्रधान सचिव और मंत्री से असहमत हैं, तो कम से कम इस बात पर तो विचार करेंगे कि वे प्रस्ताव से असहमत क्यों हैं?”

नादकर्णी ने तर्क दिया कि, “आप एक अच्छे अधिकारी की बलि नहीं चढ़ा सकते, जिनके खिलाफ कुछ भी नहीं है।” अदालत ने पूछा, “अगर कुछ भी नहीं है, तो आप उनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही क्यों कर रहे हैं?” न्यायाधीशों ने कहा कि जब तक कोई प्रथम दृष्टया साक्ष्य न हो, तब तक किसी के खिलाफ विभागीय कार्यवाही शुरू नहीं की जाती।

कई वरिष्ठ अधिकारियों ने नियुक्ति पर जताई आपत्ति

वरिष्ठ अधिकारियों का कहना था कि कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के पूर्व निदेशक रहे भारतीय वन सेवा के अधिकारी राहुल की राजाजी टाइगर रिजर्व के निदेशक पद पर नियुक्ति गलत है। इसका उप सचिव, प्रमुख सचिव और राज्य के वन मंत्री ने भी समर्थन किया।

अदालत ने पाया कि इसके बावजूद उन्हें नियुक्त किया गया। इस पर कोर्ट ने यह भी कहा अगर डेस्क ऑफिसर, डिप्टी सेक्रेटरी, प्रिंसिपल सेक्रेटरी मंत्री से असहमत हैं तो कम से कम ये लोग असहमत क्यों हैं? उन्हें इस बारे में थोड़ा सोचना चाहिए, इतनी उम्मीद है।

टूरिज्म स्पॉट बनाने के लिए काटे गए थे पेड़

यह मामला 2017-2022 का है। जब जिम कार्बेट में टाइगर सफारी और दूसरी टूरिज्म सर्विस स्पॉट बनाने के लिए पेड़ों को काटा गया था। राष्ट्रीय उद्यान में चारदीवारी और इमारतों को भी बनाया गया। उस समय हरक सिंह रावत राज्य के वन मंत्री थे।

देहरादून की रहने वाली अनु पंत ने भी उत्तराखंड हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। तब याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि कार्बेट में 6,000 पेड़ों की कटाई की गई थी। इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट के पास पहुंचा। CBI भी मामले की जांच कर रहा है।

राहुल डायरेक्टर पद से बर्खास्त

उत्तराखंड सरकार ने बुधवार, 3 सितंबर को आईएफएस अधिकारी राहुल को राजाजी राष्ट्रीय पार्क के निदेशक पद से हटा दिया था, जिसकी जानकारी बुधवार, 3 सितंबर को उच्चतम न्यायालय में दी गई। राज्य सरकार ने हाल ही में कई आईएफएस अधिकारियों के तबादले किए थे, जिसमें राहुल को राजाजी राष्ट्रीय पार्क का निदेशक बनाया गया था।

नियुक्ति पर विवाद उत्पन्न होने के बाद 3 सितंबर को राहुल को तत्काल प्रभाव से इस पद से हटा दिया गया। उन्हें अब मुख्य वन संरक्षक (अनुश्रवण, मूल्यांकन, आईटी और आधुनिकीकरण) के पद पर तैनात किया गया है।

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